सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: 1984 सिख दंगा मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ हत्या का केस चलेगा। दिल्ली के कोर्ट ने शुक्रवार (30 अगस्त) को टाइटलर के खिलाफ हत्या समेत अन्य धाराओं में आरोप तय कर दिए। मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी। टाइटलर को कोर्ट में मौजूद रहने का निर्देश दिया गया है।

CBI ने मामले में टाइटलर के खिलाफ 20 मई 2023 को चार्जशीट दाखिल की थी। एक गवाह ने आरोप लगाया था कि जगदीश टाइटलर ने 1 नवंबर 1984 को गुरुद्वारा पुल बंगश के सामने एक एंबेसडर कार से बाहर निकले और भीड़ को सिखों की हत्या करने के लिए उकसाया था।

CBI ने भी अपने आरोप पत्र में कहा कि टाइटलर ने भीड़ को उकसाया था। इसके बाद गुरुद्वारे में आग लगा दी गई। इस हिंसा में ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरु चरण सिंह मारे गए थे। CBI ने टाइटलर पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147 (दंगा), 109 (भड़काना) और 302 (हत्या) का आरोप लगाया था।

कौन हैं जगदीश टाइटलर

जगदीश टाइटलर 2004 में मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री थे, लेकिन विरोध के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उन्हें पिछले साल दिल्ली नगरपालिका चुनाव के लिए समिति में शामिल किया गया था, जिससे विवाद हो गया। उन्हें कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल होना था, लेकिन कंट्रोवर्सी से बचने के लिए वे यात्रा में शामिल नहीं हुए।

टाइटलर को क्लीन चिट मिली चुकी थी

सिख दंगा केस में CBI टाइटलर को पहले तीन बार क्लीन चिट दे चुकी थी। पहली क्लीन चिट 2007 में मिली थी, लेकिन अदालत ने इसे सिरे से खारिज कर दोबारा जांच के आदेश दिए। इसके बाद 2013 में CBI ने फिर से सबूतों का अभाव बताकर टाइटलर को क्लीन चिट दी थी।

याचिकाकर्ता फिर कोर्ट पहुंचे, जांच हुई और टाइटलर फिर बच गए। आखिर में अदालत ने दिसंबर 2015 में CBI को मामले की और जांच करने का निर्देश देते हुए कहा था कि वह हर 2 महीने में जांच की निगरानी करेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर एक पहलू की जांच की जाए।

अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि CBI उन सभी गवाहों के बयान दर्ज करे, जिन्‍होंने खुद को चश्‍मदीद बताया और टाइटलर को दंगा भड़काते देखा। जिन गवाहों ने अपनी गवाही दर्ज कराने के लिए CBI से संपर्क किया, उनके भी बयान लिए जाएं। इसके बाद CBI ने एक और जांच की और टाइटलर का नाम चार्जशीट में शामिल किया था।

1984 सिख विरोधी दंगा क्या है

सिख विरोधी दंगे 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के थे। इंदिरा गांधी ने पंजाब में सिख आतंकवाद को दबाने के लिए सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल स्वर्ण मंदिर परिसर में ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया था, जिसमें आतंकी भिंडरावाले सहित कई लोगों की मौत हो गई थी। सिख इस घटना से नाराज थे।

इसके कुछ दिन बाद ही इंदिरा गांधी की उनके ही सिख बॉडीगार्ड ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। इसके बाद से ही देशभर में सिख विरोधी दंगे शुरू हुए हो गए। इसका सबसे ज्यादा असर दिल्ली और पंजाब में देखा गया था। दंगों के दौरान करीब साढ़े 3 हजार लोगों की मौत हुई थी।