सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: यक्षगान कर्नाटक राज्य का लोक नृत्य है। यक्षगान कर्नाटक का पारम्परिक नृत्य नाट्य रूप है जो एक प्रशंसनीय शास्त्रीय पृष्ठभूमि के साथ किया जाने वाला एक अनोखा नृत्य रूप है। यक्षगान संस्कृत नाटकों के कलात्मक तत्वों के मिले जुले परिवेश में मंदिरों और गांवों के चौराहों पर बजाए जाने वाले पारम्परिक संगीत तथा रामायण और महाभारत जैसे महान् ग्रंथों से ली गई विषय वस्तुओं के साथ प्रदर्शित किया जाता है।
प्रस्तुति – SPIC-MACAY, यक्ष-गान पारम्परिक लोक नाट्यनृत्य के मुख्य कलाकार – गुरुः के. शिवानन्द हेगड़े एवं उनके सहयोगियों द्वारा भोपाल परिसर के भवभूति प्रेक्षागर में की गयी। इस प्रकार नाटकीय प्रस्तुति सर्वोत्तम शास्त्रीय संगीत, मंजी हुई नृत्य कला और प्राचीन अनुलेखों का एक भव्य मिश्रण बन कर प्रकट होती है, जिसे भारत के नृत्य रूपों में सर्वाधिक मनमोहक रूपों में से एक माना जाता है।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, भोपाल परिसर के निदेशक एवं प्रो. रमाकान्त पाण्डेय ने सभी कलाकारों
का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए कहा कि ऐसे पारम्परिक लोक नृत्यों का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाना अत्यावश्यक है जिससे हमारी भारतीय ज्ञान परम्परा एवं लोकपरम्परा अक्षुण्ण बनी रहेगी। परिसर निदेशक स्वयं नाट्यशास्त्र के मर्मज्ञ हैं। इस अवसर पर परिसर के सभी प्राध्यापक कर्मचारी एवं छात्र छात्राएं उपस्थित होकर यक्षगान प्रस्तुति का रसास्वादन किया। इस कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन नाट्यशास्त्र अध्ययन अनुसन्धान केन्द्र के प्राध्यापक प्रसाद रमेश भिड़े ने किया एवं अनुसन्धान केन्द्र के अन्य प्राध्यापकों ने सहयोग प्रदान किया।
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