सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपालपरिसर में 21 दिवसी कार्यशाला के 14 वें दिन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से पधारे देश के मूर्धन्यविद्वान् प्रो.सदाशिवकुमार द्विवेदी ने बताया कि भावप्रकाश में जीवविज्ञान और भारतीय कला का विशेष वर्णन किया गया है।
जीव के निर्माण की प्रक्रिया को भावप्रकाश के सातवें अधिकार में बतलाया गया है। यही प्रक्रिया मेडिकल साईन्स कही जाती है। माता के गर्भ में जीव निर्माण जब होता है तो उसके शरीर में नाडी , प्राण ,अपान ,व्यान, उदान आदि अन्य अंगों की स्थिति बनती है उसी को व्याख्यायित किया गया है। धातुविज्ञान का भी इसमें उल्लेख है जो जीव की निर्माण प्रक्रिया का भाग है। यह चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसन्धान कर रहे है उनके लिए भी बहुत उपयोगी है। इस ग्रन्थ के लेखक शारदातनय विविध विषयों के जानकार रहे हैं। उन्होंने भावप्रकाश में नाट्यसिद्धान्तों के साथ विज्ञान के तत्वों को भी स्थापित कर भारतीयज्ञान परम्परा को उद्घाटित करने का कार्य किया है। आज ऐसे दुर्लभ ग्रन्थों पर विचार-विनिमय और अनुसन्धान की आवश्यकता है । इसे समझने के लिए संस्कृत पढना जरूरी है । केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने भोजराज की ज्ञानभूमि भोपाल में इस तरह की कार्यशाला का आयोजन कर देशभर से छात्रों को भावप्रकाश का अध्यापन करना बडा कार्य है ।

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