सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश के निर्देशानुसार,भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध सन्दर्भ के अंतर्गत “भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध-अनुसंधान” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन दिनांक -25 एवम 26 जुलाई, 2024 को बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल,द्वारा किया जा रहा है, जिसका उद्धघाटन दिनांक-25 जुलाई, 2024 को बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के ज्ञान विज्ञान भवन में माननीय मंत्री इन्दर सिंह जी परमार, उच्च शिक्षा, तकनिकी शिक्षा, आयुष विभाग, मध्य प्रदेश शासन के मुख्य आतिथ्य एवम गरिमामयी उपस्थिति में किया गया। कार्यक्रम का शुभ आरम्भ द्वीप प्रवजलन एवम सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वागत वक्तव्य में कार्यशाला की नोडल अधिकारी प्रो.रूचि घोष दस्तीदार ने कार्यशाला के महत्व एवम उदेश्यों पर प्रकाश डाला और कहा कि जैसे बड़े बड़े वृक्षों को मज़बूती उनकी जड़े प्रदान करती हैं उसी प्रकार भारतीय ज्ञान परमपरा हमारी आने वाली पीढ़ियों को मज़बूती प्रदान करेगी जो भारतीय ज्ञान परमपरा को हमारे पाठ्यक्रमों में समाहित करके संभव हो पायेगा। मंत्री इन्दर सिंह जी परमार ,उच्च शिक्षा, तकनिकी शिक्षा, आयुष विभाग, मध्य प्रदेश शासन ने अपने उद्भोदन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध के माध्यम से हम दुनिया के प्रश्नों का समाधान खोज सके, इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में श्री अशोक कड़ेल, संचालक, मध्य प्रदेश हिंदी ग्रन्थ अकादमी ,भोपाल उपस्थित रहे। जिन्होंने अपने उद्भोदन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा निति २०२० ने भारतीय केंद्रित शिक्षा कि शुरुवात की है, जिसमे यह ज़ोर दिया गया है कि विद्यार्थी कार्यव्यवहार के साथ विश्व कल्याण के लिए तैयार हों।आज विश्व जिन समस्याओं के झूंझ रहा है उसका समाधान भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध में है। हमे विद्यार्थियों को यह दृष्टि देनी है कि किस प्रकार हम विश्व कल्याण के लिए कार्य कर सकें। सिर्फ उपाधि प्राप्त करना हमारा उद्देश्य नहीं होना चाहिए, हमारी दृष्टि खोज की विकसित होनी चाहिए। उनका कहना था धरातल पर राष्ट्रीय शिक्षा निति 2020 और भारतीय ज्ञान परंपरा विषय को उच्च शिक्षा विभाग,मध्यप्रदेश ने उतारा है और देश में उदाहरण प्रस्तुत करेगा।
कार्यक्रम का आयोजन बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल के माननीय कुलगुरु प्रो.ऐस.के जैन की अध्यक्षता में किया गया। अध्यक्षीय उद्धबोधन देते हुए प्रो.ऐस.के जैन कहा कि बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा पर एक शोध केंद्र के रूप में कार्य करेगा। भारत ऐसी भूमि है जहाँ कण कण में शोध है अनुसन्धान है, हमारी ज्ञान परंपरा बहुत समृद्धशाली है, जिसमे शोध अनुसन्धान की आवश्यकता है। कार्यक्रम का समन्वयन कार्यशाला की नोडल अधिकारी प्रो.रूचि घोष दस्तीदार, विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग,बरकतउल्ला विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है। उद्घाटन सत्र का सञ्चालन बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के प्रो. पवम मिश्रा द्वारा किया गया।
कार्यशाला के प्रथम दिन चार सत्र आयोजित किये गए जिसमे भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध –अनुसन्धान विषय से सम्बंधित महत्वपूण पहलुओं पर चर्चा की गयी। क्रायक्रम के प्रथम सत्र में मुख्य वक्तव्य-पद्मश्री डॉ. कपिल तिवारी द्वारा ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध’ विषय पर दिया गया। भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा भारत में कोई चीज़ अतीत नहीं होती, भारत में हर चीज़ सनातन है, उसके आधार पर हम अपने आज की रचना कर सकतें हैं। विद्यार्थयों को यह समझना आवशयक है कि मैं उस परंपरा की रचना हूँ जिसके पीछे हज़ारों पीढ़ियों के विचार सक्रिय है। हर जीवन की रक्षा करके हमारे जीवन की रक्षा हो सकती है, यह विद्यार्थिओं के लिए जानना ज़रूरी है जो ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध’ से संभव है ।
द्वितीय सत्र में विषय विशेषज्ञ प्रो. वी. के. मल्होत्रा,अध्यक्ष, खाद्य आयोग म.प्र.औरपूर्व सदस्य सचिव, आईसीएसएसआर, नई दिल्ली ने ‘विभिन्न ज्ञान क्षेत्रों में भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध’विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। प्रथम एवम द्वितीय सत्र का सञ्चालन डॉ.राहुल सिंह परिहार द्वारा किए गया। कार्यशाला के तीसरे सत्र में दो विषय विशेषज्ञों द्वारा अपने विचार व्यक्त किये गए ।तीसरे सत्र में कार्यशाला के विषय विशेषज्ञ प्रो. तिमिर त्रिपाठी, प्रोफेसर, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग ने ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और विज्ञान का शोध में योगदान: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण” विषय पर अपने शोष पत्र की प्रस्तुति की। विषय विशेषज्ञ प्रो .आशीष पांडे,प्रोफेसर, शैलेशजे. मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,बॉम्बे (आईआईटीबी), मुंबई द्वारा“भारतीय ज्ञान परंपरा में ज्ञान कीअवधारणा“विषय पर शोष पत्र की प्रस्तुति की गयी। तीसरे सत्र का सञ्चालन प्रो.अनीता धुर्वे समाजशास्त्र विभाग,बरकतउल्ला विश्वविद्यालय एवम डॉ.रूपाली शेवालकर द्वारा किया गया।चौथे सत्र में उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश के निर्देशानुसार,भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध सन्दर्भ के अंतर्गत”भारतीय ज्ञान परंपराऔर शोध-अनुसंधान विषय पर ईकंटेंट डेवेलोप करने हेतु चर्चा की गयी।कार्यशाला के दूसरे दिन -26 जुलाई, 2024 को भारतीय ज्ञान परंपरा और शोध-अनुसंधान से सम्बंधित महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। “सभी विषयों में छात्रों को भारतीय ज्ञान परंपरा की बुनियादी समझ से परिचित कराने के तंत्र”, “अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएटऔर डॉक्टरेट स्तर पर भारतीय ज्ञान परंपरा पर शोध को बढ़ावा देने के तंत्र”,.”भारतीय ज्ञान परंपरा का उपयोग करके शोध के परिणामों को भारतीय समाज के लिए प्रासंगिक बनाने के तरीके पहचानना”, ” भारतीय ज्ञान परंपरा में शोध के क्षेत्र पहचानना (शोध के विषयों की सूचीबनाना, संदर्भ सूची तैयार करना)”एवम”भारतीय अनुसंधान परंपरा: दृष्टिकोण और पद्धति” पुस्तक पर चर्चा करना शामिल है।
कार्यशाला के प्रतिभागियों में शिक्षक,शोधकर्ता, केंद्रीय अध्यन मंडल सदस्य, हिंदी ग्रंथअ कादमी के पुस्तक लेखक ,ईकंटेंट डेवलपर, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ और विद्वान जो भारतीय ज्ञान परंपरा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, निम्नलिखित व्यापक संकायों (विषयसमूह) से शामिल रहे: कला, शिक्षा और खेल, वाणिज्य औ रप्रबंधन, विधि, जीवन विज्ञान, भौतिक विज्ञानऔर प्रौद्योगिकी, सामाजिक विज्ञान, व्यावसायिक पाठ्यक्रम।