सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क– इंटीग्रेटेड ट्रेड– न्यूज़ भोपाल: लोकसभा चुनाव के परिणामों ने भाजपा में आंतरिक समीक्षाओं और सुधारों की मांग को हवा दी है। कई राज्यों की समीक्षा बैठकों में मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ नाराजगी प्रकट हुई है। संगठनात्मक ढांचे, मंत्रियों के आचरण, और टिकट वितरण की नीतियों को चुनावी नतीजों में गिरावट के प्रमुख कारणों के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा, दूसरे दलों से आए नेताओं को प्रमुखता देने से मूल काडर में असंतोष बढ़ा है।
भाजपा के प्रदर्शन में गिरावट: सहयोगी दलों पर निर्भरता बढ़ी
भाजपा, जिसने पिछले दो लोकसभा चुनावों में अपने बलबूते पर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था, इस बार सहयोगी दलों की मदद से बहुमत के आंकड़े तक पहुंच सकी। भाजपा की सीटों में 63 की कमी आई है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सीटें 62 से घटकर 33 रह गईं, और वोट प्रतिशत भी 49.98% से गिरकर 41.37% हो गया। समीक्षा बैठकों में पार्टी के नेताओं ने राज्य और केंद्र की कई कमियों को उजागर किया और तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की।
मूल काडर की अनदेखी: असंतोष का मुख्य कारण
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख नेता ने हार के कारणों को स्पष्ट करते हुए कहा कि समीक्षा में समय बर्बाद करने की बजाय, उन कमियों को तुरंत दूर करना चाहिए, जिन्होंने प्रतिकूल प्रभाव डाला है। खासकर, दूसरे दलों से आए नेताओं को प्राथमिकता देने के चलते, मूल काडर की अनदेखी हुई है, जिससे कार्यकर्ताओं में असंतोष फैल गया है।
भाजपा की रणनीति में बदलाव की आवश्यकता
हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में भी भाजपा की समीक्षा रिपोर्ट अनुकूल नहीं है। पूर्वोत्तर में भी विभिन्न घटनाओं को सही तरीके से न सुलझा पाने से नुकसान हुआ है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल से पीड़ित कार्यकर्ताओं की चिंताओं को नजरअंदाज करने की बात भी सामने आई है।
राज्यों में सरकार और संगठन में बदलाव की संभावना
भाजपा जल्द ही सभी राज्यों की समीक्षा रिपोर्ट के आधार पर बड़े बदलाव कर सकती है। पार्टी संगठन और राज्य सरकारों में सुधार की संभावना है। खासकर उन राज्यों में, जहां भाजपा मजबूत है और गठबंधन की आवश्यकता नहीं है, वहां पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
नाराज कार्यकर्ताओं को मनाना होगा प्राथमिक लक्ष्य
भाजपा का सबसे महत्वपूर्ण काम नाराज कार्यकर्ताओं को मनाना और उनकी बातों को संगठन और सरकार में सुने जाने का आश्वासन देना होगा। पार्टी को अब से ही 2027 के चुनावों की तैयारी में जुट जाना होगा, ताकि आगामी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया जा सके।