सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एम्स में 9 से 11 अगस्त तक चलने वाले इमरजेंसी मेडिसिन के 20वें अखिल भारतीय अकादमिक सम्मेलन ईएमइंडिया-24 का उद्घाटन शुक्रवार को हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मध्यप्रादेश के मुख्य-मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हम सभी इमरजेंसी मेडिसिन के क्षेत्र में एक नये युग का प्रारंभ देख रहे हैं। इमरजेंसी मेडिसिन में हमारी प्राथमिकता तत्काल और प्रभावी देखभाल सुनिश्चित करना है। सही समय पर सही इलाज लोगों को मिल सके इसके लिए हम प्रयासरत हैं। आज के समय में अपडेट रहना भी बहुत जरूरी है। इमरजेंसी मेडिसिन में आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक सर्जरी जैसे नवाचारों को अपनाकर हम इलाज को और अधिक तेज और सटीक बना सकते हैं। एम्स के साथ मिलकर हम पूरे प्रदेश में एक समान उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं। जिसके अंतर्गत वन स्टेट वन हेल्थ पॉलिसी पर काम हुआ है व इसकी एसओपी तैयार कर ली गई है। एम्स हमारे डॉक्टारों को भी प्रशिक्षित कर रहा है, जिससे सभी लोगों को समान रूप से स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। हमें प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भी पूरी तरह से तैयार रहना होगा। मैं आशा करता हूं कि ये सम्मेलन इमरजेंसी मेडिसिन के क्षेत्र में नये आयामस्था पित करेगा।
मध्यप्रदेश में सरकार में राज्य मंत्री कृष्णान गौर ने एम्स की सरहाना करते हुए कहा कि एम्स लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रहा है और ईएमइंडिया-24 जैसे आयोजनों से इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को अपने विचारों का आदान प्रदान करने का अवसर मिलता है और एक दूसरे के अनुभवों से सीखकर और बेहतर तरीके से मरीजों का इलाज कर सकते हैं।
इससे पूर्व उपस्थिति का स्वागत करते हुए एम्स के कार्यपालक प्रो. अजय सिंह ने कहा कि आज बड़े गर्व का विषय है कि ईएमइंडिया-24 कॉन्फ्रेंस एम्स में आयोजित की जा रही है। हमारी पॉलिसी है कि इमरजेंसी में आए किसी भी मरीज को लौटाया न जाए। सीमित संसाधनों के बावजूद हमारा प्रयास होता है कि हम सर्वोत्त म उपचार दे सकें। विशेषकर इमरजेंसी की अवस्था समय पर किया गया इलाज न केवल रोगी का जीवन बचा सकता है बल्कि एक पूरे परिवार को बिखरने से बचा लेता है। इसके लिए एक विशेष ट्रॉमा सेंटर तैयार किया जाएगा। एम्स ने वन स्टेट वन हेल्थम इमरजेंसी मेडिसिन पर एक दस्तावेज भी तैयार किया है जिससे प्रदेश भर के अस्पतालों में चाहे वे छोटे हो या बड़े उसी मानदंड के अनुसार इलाज मिल सकेगा जैसा कि एम्स में मिलता है। आज जिस प्रकार से प्राकृतिक आपदाएं हो रही हैं ऐसे में हमें पहले से तैयारी करनी होगी। हम मध्य प्रदेश सरकार के साथ मिलकर आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। एम्स की विशेषज्ञता और मध्य प्रदेश सरकार के संसाधनों के संयुक्त प्रयासों से राज्य में आपदा की स्थिति का बेहतर तरीके से मुकाबला किया जा सकता है।
एकेडमिक कॉलेज ऑफ इमरजेंसी एक्स्पर्ट इन इंडिया (एसीईई-इंडिया) के संस्थापक अध्यक्ष डॉ सागर गलवणकर ने कहा कि आपातकालीन विभागों में भीड़भाड़ एक गंभीर मुद्दा है, जिसके लिए तत्काल और अभिनव समाधान की आवश्यकता है। पिछले 20 वर्षों से, हम इंडसैम में आपातकालीन चिकित्सा के क्षेत्र को आगे बढ़ाने, विशेष इकाइयों की स्थापना करने और उत्कृष्टता और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इस अवसर पर एम्स के अध्यक्ष डॉ सुनील मलिक ने कहा कि इमरजेंसी मामलों में समय बहुत महत्व पूर्ण होता है। एक-एक पल बहुत कीमती होता है। इसलिए ऐसी परिस्थितियों में समय का बेहतर तरीके से प्रयोग करना चाहिए। प्रो.अजय सिंह के प्रयासों से एम्स एक मिसाल बनता जा रहा है और आने वाले दिनों में भी हम यहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देते रहेंगे।
एकेडमिक कॉलेज ऑफ इमरजेंसी एक्स पर्ट इन इंडिया (एसीईई-इंडिया) के उपाध्यक्ष डॉ प्रवीण अग्रवाल ने उपस्थिति का धन्यरवाद किया। इस अवसर पर स्मारिका ईएमइंडिया 24 और वन स्टेट वन हेल्थम इमरजेंसी मेडिसिन दस्तायवेज का विमोचन भी किया गया।
इस दौरान मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों और युवा सर्जन्स को सर्जरी के दौरान टांका लगाने की तकनीक सिखाने के लिए एम्स डॉ. अजय सिंह ने ‘इंस्टीट्यूट ऑन व्हील्स’ का उद्घाटन किया। जो जॉनसन एंड जॉनसन इंस्टीट्यूट द्वारा डिज़ाइन किया गया एक विशेष वाहन है। प्रो. सिंह ने कहा कि वाहन में उपलब्ध सुविधाओं से हमारे युवा एवं भावी डॉक्टरों की सर्जिकल क्षमताओं को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। वैस्कुलर एनास्टेमोसिस और टेंडन रिपेयर सीखकर, हम मरीजों के परिणामों में सुधार ला सकते हैं।
इससे पूर्व आज दिनभर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें सर्जिकल कौशल पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ, 350 से अधिक शोधकर्ताओं द्वारा शोधपत्र प्रस्तुतिकरण, डॉक्टर और नर्सिंग अधिकारियों के लिए आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण आदि शामिल थे। इन कार्यक्रमों में 500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसके अलावा विभिन्न दवा कंपनियों और हथकरघा इकाइयों द्वारा स्टॉल्स भी लगाए गए जिसका लोगों ने भरपूर आनंद लिया।