सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : महाराष्ट्र के पिंपरी पुणे में आयोजित 58वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का तीन दिवसीय आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। समागम के समापन दिवस पर निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने लाखों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा, “जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है।
सतगुरु माता का संदेश
सतगुरु माता ने कहा कि मानव जीवन का महत्व आत्मज्ञान की क्षमता में है। उन्होंने भक्तों को जीवन को एक वरदान मानते हुए हर क्षण परमात्मा से जुड़कर जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि भक्ति और कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाकर जीवन को संतोष और शांति से जीया जा सकता है।
माता ने यह भी कहा कि केवल भक्ति में लीन रहना या केवल भौतिक उपलब्धियों के पीछे भागना जीवन को पूर्णता नहीं दे सकता। जीवन में संतुलन के लिए भक्ति के साथ सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वाह आवश्यक है।
समागम की झलकियां
कवि दरबार:
तीसरे दिन आयोजित बहुभाषी कवि दरबार में 21 कवियों ने मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में काव्य पाठ कर “विस्तार – असीम की ओर” विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। इसके अलावा, बाल कवि दरबार और महिला कवि दरबार भी आयोजित किए गए।
निरंकारी प्रदर्शनी:
प्रदर्शनी में मिशन के इतिहास, विचारधारा और समाजसेवा की जानकारी दी गई। प्रोजेक्ट वननेस और अमृत प्रोजेक्ट के मॉडल आकर्षण का केंद्र बने।
स्वास्थ्य सेवाएं:
समागम में निःशुल्क चिकित्सा शिविर, कायरोप्रैक्टिक सेवा और होम्योपैथी डिस्पेंसरी की सुविधा उपलब्ध कराई गई। 18 देशों के डॉक्टरों ने निस्वार्थ सेवा दी।
लंगर व्यवस्था:
तीन स्थानों पर 24 घंटे लंगर की व्यवस्था की गई, जहां एक समय में 70,000 श्रद्धालु भोजन कर सकते थे।
निष्कर्ष
समागम ने श्रद्धालुओं को जीवन के वास्तविक उद्देश्य और आत्मिक उन्नति का महत्व समझाया। सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज के संदेशों ने मानवता को प्रेम, सेवा और समर्पण का मार्ग प्रशस्त करने की प्रेरणा दी।
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