सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: आज अनसुनी दास्तानें में कहानी एक ऐसी एक्ट्रेस की जिसने 22 साल पहले 20 साल की उम्र में मौत को गले लगा लिया था। इनका नाम है प्रत्यूषा। ये साउथ की उभरती हुई अभिनेत्री थीं।

प्रत्यूषा ने महज 4 साल में 10 से ज्यादा फिल्में की थीं। सबको लगा था कि वो बहुत बड़ी स्टार बनेंगी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। कहा गया कि प्रत्यूषा ने प्यार में नाकामी के चलते जहर खाकर आत्महत्या कर ली, हालांकि इनकी मौत संदेहास्पद बताई गई।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि प्रत्यूषा को गला दबाकर मारा गया और उनका रेप भी किया गया। मां ने भी बेटी की मौत को सुसाइड नहीं मर्डर कहा। शक की सुई घूमी प्रत्यूषा के बॉयफ्रेंड पर जिससे प्रत्यूषा शादी करना चाहती थी।

पढ़िए प्रत्यूषा की जिंदगी की दर्दनाक कहानी जिसमें संघर्ष, प्यार, धोखा और रहस्य सब कुछ है…

बचपन में हुआ पिता का निधन, मां ने पाला-पोसा

प्रत्यूषा का जन्म 29 अगस्त,1981 को भुवनगिरी, तेलंगाना में हुआ था। मिडिल क्लास फैमिली में जन्मीं प्रत्यूषा की मां एक सरकारी स्कूल में टीचर थीं। उनका एक भाई है जिसका नाम प्रणीत चंद्रा है।

प्रत्यूषा जब छोटी थीं तब उनके पिता का निधन हो गया था। प्रत्यूषा की एजुकेशन संतोष विद्या निकेतन, भुवनगिरी और सेंट एनीज हाई स्कूल, हैदराबाद में हुई।

इसके बाद उन्होंने हैदराबाद के जेबी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से होटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया। सरकारी स्कूल में प्रत्यूषा की मां की सैलरी ज्यादा नहीं थी, लेकिन उन्होंने बच्चों को अच्छी एजुकेशन देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

उनकी पूरी कोशिश रही कि बेटी प्रत्यूषा और बेटे प्रणीत को किसी चीज की कमी न हो, लेकिन प्रत्यूषा अपनी मां का दर्द समझती थीं।

कम उम्र में शुरू किया फिल्मों में काम

प्रत्यूषा ये बात भांप चुकी थीं कि मां को अकेले घर चलाने में कितनी दिक्कत होती है, यही वजह थी कि प्रत्यूषा नौकरी करने के बजाए फिल्मों में काम करके खूब सारा पैसा कमाकर अपनी मां की मदद करना चाहती थीं।

इसी सोच के साथ उन्होंने हैदराबाद में हुए टेलीविजन स्टार कॉन्टेस्ट में हिस्सा लिया और यहां मिस लवली स्माइल का टाइटल जीतने में कामयाब हो गईं। यहीं से प्रत्यूषा के लिए ग्लैमर जगत के रास्ते खुल गए।

कुछ कोशिशों के बाद प्रत्यूषा को 18 साल की उम्र में साउथ फिल्म इंडस्ट्री में काम करने का मौका मिल गया। उन्होंने 1998 में फिल्म ‘रायडु’ के जरिए तेलुगु फिल्मों में कदम रखा। फिल्म के लीड स्टार मोहन बाबू थे। फिल्म में तीन एक्ट्रेसेस थीं, जिनमें से एक प्रत्यूषा थीं। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही, लेकिन प्रत्यूषा फिल्ममेकर्स की नजर में आ गईं।

1998 में प्रत्यूषा की दूसरी तेलुगु फिल्म ‘श्री रामुलय्या’ रिलीज हुई। इसके बाद बैक टु बैक प्रत्यूषा की साल दर साल फिल्में रिलीज हुईं। 2002 तक उनकी दस फिल्में रिलीज हो चुकी थीं। प्रत्यूषा साउथ फिल्म इंडस्ट्री में चार सालों में अच्छा खासा मुकाम हासिल कर चुकी थीं। वो उन तेजी से उभरती एक्ट्रेसेस की लिस्ट में शामिल हो गई थीं, जिन पर फिल्म इंडस्ट्री की नजर थी।