आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भारतीय सिनेमा के सबसे महान डायरेक्टर माने जाते हैं सत्यजीत रे। 36 फिल्में बनाईं, जिनके लिए 32 नेशनल अवॉर्ड जीते। उनकी हर फिल्म दुनियाभर में सराही गई। पद्म श्री से लेकर भारत रत्न तक ऐसा कोई सम्मान नहीं है, जो सत्यजीत रे को ना मिला हो।
अपनी फिल्मों में रे ने आजादी के बाद के गरीब भारत की ऐसी तस्वीर दिखाई कि संसद तक में इनके खिलाफ बहस हुई। फिल्मों में वास्तविकता दिखाने का रे का जुनून ऐसा था कि जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इनसे अपने पिता पं. जवाहरलाल नेहरू पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने को कहा तो उन्होंने टका सा जवाब दे दिया कि मैं पॉलिटिकल फिल्में नहीं बनाता। इसके बावजूद इंदिरा गांधी इनकी बड़ी प्रशंसक रहीं। हालांकि फिल्म एक्ट्रेस और सांसद नरगिस दत्त ने कभी सत्यजीत रे की फिल्मों को पसंद नहीं किया।
नरगिस ने एक बहस के दौरान संसद में कहा था कि रे की फिल्में दुनिया में भारत की इमेज खराब कर रही हैं। इनमें सिर्फ गरीबी दिखाई गई है। इस पर इंदिरा गांधी ने उन्हें अपनी बात वापस लेने के लिए कहा था।
आज सत्यजीत रे की 102वीं बर्थ एनिवर्सरी पर पढ़िए उनकी जिंदगी और फिल्मों से जुड़े दिलचस्प किस्से…
2 साल की उम्र में पिता का निधन, दादा के घर में मां ने की परवरिश
सत्यजीत रे का जन्म 2 मई 1912 को कोलकाता में सुकुमार रे और सुभ्रा रे के घर हुआ था। वो दो साल के ही थे कि तभी उनके पिता का निधन हो गया। इसके बाद उनकी परवरिश मां ने उनके दादा उपेन्द्रकिशोर रे चौधरी के घर पर रहकर की। रवींद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन में फिल्म मेकिंग का आइडिया आया
मां चाहती थीं कि सत्यजीत रे रवींद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन में पढ़ाई करें। ना चाहते हुए भी मां के कहने पर उन्होंने शांति निकेतन में फाइन आर्ट में दाखिला लिया। यहीं पर उन्हें फिल्म मेकिंग का आइडिया आया।
ब्रिटिशर्स के बराबर सैलरी नहीं मिलने की वजह से पहली जॉब छोड़ दी
1943 में सत्यजीत रे ने एक ब्रिटिश विज्ञापन एजेंसी डीजे कीमर में एक जूनियर विजुअलाइजर के तौर पर काम करना शुरू किया। इस कंपनी में अंग्रेज और भारतीय कर्मचारियों के बीच तनाव रहता था। अंग्रेज कर्मचारियों को ज्यादा फीस दी जाती थी, ये बात सत्यजीत रे को खटकती थी। इस वजह से उन्होंने ये काम छोड़ दिया। दूसरी जाॅब रे ने सिग्नेट प्रेस में की। वहां रे बुक्स कवर डिजाइन करते थे।
इंदिरा गांधी को डॉक्यूमेंट्री बनाने से कर दिया था इनकार
इंदिरा गांधी ने नरगिस को शब्द वापस लेने के लिए इसलिए कहा था क्योंकि वे सत्यजीत रे के काम की बहुत इज्जत करती थीं। उन्होंने एक बार सत्यजीत रे से पं. जवाहरलाल नेहरु के अच्छे कामों को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि वो राजनीतिक मुद्दों पर फिल्में नहीं बना सकते।
हिट फिल्में देने के बाद भी किराए के घर में रहे
कई हिट फिल्में देने के बाद भी सत्यजीत रे पत्नी सहित किराए के घर में ही रहते थे। उनका मानना था कि वो पैसे बचाकर किताबें खरीद सकेंगे और फिल्में देख पाएंगे, जिसकी मदद से बेहतरीन फिल्में बनाने में उन्हें मदद मिलेगी।