हिंदी: भारत अपनी 2010 की सिविल न्यूक्लियर लायबिलिटी डैमेज एक्ट में संशोधन करने जा रहा है, जिससे न्यूक्लियर उपकरण आपूर्तिकर्ताओं की दुर्घटना से संबंधित जिम्मेदारियों को सीमित किया जाएगा। यह कदम विदेशी कंपनियों जैसे जनरल इलेक्ट्रिक और वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक को आकर्षित करने के लिए उठाया गया है, जिससे भारत के कानून अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2047 तक 100 गीगावाट न्यूक्लियर पावर क्षमता बढ़ाने की योजना को समर्थन मिलेगा। रिलायंस, टाटा पावर, अदानी पावर और वेदांता जैसी प्रमुख भारतीय कंपनियां न्यूक्लियर क्षेत्र में प्रत्येक लगभग 5.14 बिलियन डॉलर निवेश करने की बातचीत में हैं।

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