आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एक्टर मोहित रैना ने हाल ही में कश्मीर में बिताए अपने बचपन के दिनों के बारे में बात की। मोहित ने कहा कि वो जब 9 साल के थे तब उनका परिवार कश्मीर में हो रही गोलीबारी के बीच फंस गया था। उन्होंने कहा कि वो दिन काफी डरावना था और वो कश्मीर की यादों को कभी भुला नहीं पाएंगे।

उन्होंने कहा कि 90 के दशक में कश्मीर में जब आतंकियों की घुसपैठ चरम पर थी तब स्कूल जाने जैसी बेसिक-सी चीज भी घाटी में रहने वाले बच्चों के लिए किसी बुरे सपने की तरह थी। किसी को नहीं पता होता था कि क्या वो सुरक्षित तौर पर स्कूल से घर पहुंच पाएंगे या नहीं।

अपनी आंखों के सामने स्कूल को जलते हुए देखा: रैना

रणवीर इलाहाबादिया से बात करते हुए मोहित रैना ने बताया कि वो 9 साल की उम्र तक कश्मीर में ही रहे। इसके बाद उनके परिवार ने कश्मीर छोड़ने का मन बना लिया। उन्होंने कहा- मुझे आज भी वो दिन याद है जब मैंने अपनी आंखों के सामने अपने स्कूल को जलते हुए देखा था।

मुझे लगता है ये चीजें काफी पर्सनल हैं और बहुत तकलीफ भी देती हैं, लेकिन हर कोई ये नहीं समझ सकता। हमें बचपन में कभी-कभी स्कूल जाने के रास्ते में भी गोलीबारी देखनी पड़ी।

बीच सड़क में हो रही थी गोलीबारी, परिवार से दूर खड़ा था: रैना

मोहित रैना ने ये भी कहा कि कश्मीर ने उन्हें बहुत कम उम्र में ही बहुत बड़े सबक सिखाए हैं। उन्होंने कहा- मुझे जिंदगी और मौत जैसी नाजुक सिचुएशंस में संयम बनाए रखने और लड़ते रहने का सबक वादी ने ही दिया है।

जब आप सिर्फ 8 साल के हों और आपको ये देखना पड़े की आपके पेरेंट्स और भाई-बहन रोड के उस पार खड़े हैं, जबकि आप दूसरी तरफ हैं और गोलीबारी चल रही हो, ऐसी चीजें आपको काफी कुछ सिखा देती हैं।

मुश्किल में लेने पड़ते हैं अहम फैसले: रैना

मोहित रैना ने कहा- आर्मी के जवान वर्दी में आपके पास आते हैं आपको बचाकर किसी सुरक्षित जगह तक ले जाने के लिए; लेकिन आम लोगों को ये लगता है कि अगर वो सेना के जवानों के साथ होंगे तो उन पर भी हमला हो सकता है।

उस समय आपको अपने लिए खुद फैसला लेना होता है कि अपनी जान बचाने के लिए किस तरफ और किसके साथ जाना है। ऐसी चीजें आपको काफी कुछ सिखा देती हैं।