आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : फिल्म टाइगर जिंदा है में एक्ट्रेस अनुप्रिया गोयनका का एक डायलॉग था- मेरी मां को बोलना, मैंने हार नहीं मानी, मैंने कोशिश करनी नहीं छोड़ी। ये डायलॉग भले ही अनुप्रिया पर रील में फिल्माया गया था, लेकिन उन्होंने इसे रियल लाइफ में भी जिया है।
उनके इसी संघर्ष को करीब से जानने के लिए मैं कई दिनों से अनुप्रिया से मुलाकात करने की कोशिश कर रही थी। बिजी शेड्यूल के कारण मुलाकात तो नहीं हो सकी, लेकिन हमारी बात टेलिफोनिक हुई।
बात शुरू होते ही उन्होंने देरी के लिए माफी मांगी। थोड़ी औपचारिकता के बाद मैंने उनके बचपन के बारे में जानना चाहा।
वो बताती हैं, कानपुर के एक सम्पन्न मारवाड़ी परिवार में मेरा जन्म हुआ। पापा का गारमेंट एक्सपोर्ट बिजनेस था। हम 4 भाई-बहन हैं। हमारा परिवार 14 कमरों वाले बंगले में रहता था। 4-5 गाड़ियां थीं। नौकर-चाकर भी थे। कभी किसी ने नहीं सोचा था कि ये सब कुछ एक झटके में हमसे छिन जाएगा।
मैं लगभग 8 साल की थी। पापा के बिजनेस में गिरावट आ गई। धीरे-धीरे बहुत कुछ हमसे छिनता चला गया। ज्यादा बड़ी तो नहीं थी, लेकिन इस बात का आभास जरूर था कि चीजें सही नहीं चल रही हैं। स्थिति में जब सुधार आने की सारी उम्मीदें खत्म हो गईं, तब पापा पूरे परिवार के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गए।
वो कहते हैं ना कि बुरा समय भी अपने साथ कुछ अच्छा ही लेकर आता है। कानपुर में हम बड़े घर में रहते थे। हमारी देख-रेख करने के लिए अलग से लोग रखे गए थे। जब हम दिल्ली आए तो यहां पर सिर्फ एक कमरे में पूरा परिवार रहता था। बाकी दो कमरों को ऑफिस में तब्दील कर दिया गया था। एक कमरे में रहने से हम पहले से ज्यादा करीब आ गए। मां और बहन के साथ ज्यादा वक्त बिताने को मिला।
मुझे याद है, जब मैं 10वीं में थी तभी से एक तरह से मैं पापा के बिजनेस में आ गई थी। इस वक्त मैं स्कूल के बाद फैक्ट्री जरूर जाया करती थीं। 12वीं के बाद पूरा बिजनेस ही मैं देखने लगी।
पापा की मदद के लिए बिजनेस के साथ मैंने कॉल सेंटर में भी काम करना शुरू कर दिया था। मम्मी की सख्त हिदायत थी कि बिजनेस तो देखना ही है। मम्मी का कहना टाल भी नहीं सकती थी। यही कारण था कि दिन में ऑफिस जाती और रात में कॉल सेंटर। बहुत मुश्किल से 3-4 घंटे ही सो पाती।
इन कामों में इतना व्यस्त रहती थी कि 12वीं के बाद सिर्फ पेपर देने ही कॉलेज गई। पढ़ाई भी ज्यादा नहीं कर पाई। मगर इसे कभी भी अपनी कमजोरी नहीं बनने दी।