आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : नसीरुद्दीन शाह प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों जिंदगियों के बारे में बेबाकी से अपने मन की बात कहने के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने अपने दिवंगत पिता अले मोहम्मद के साथ अपने खराब रिश्ते के बारे में बात की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वो हमेशा सोचते हैं कि जो गलतियां उनके बतौर पिता अपने बच्चों के साथ की, वो उन्हें न दोहराएं। वो कोशिश करते हैं कि पिता जैसी गलतियां उनसे न हों। लेकिन इसके बावजूद वो अपने बच्चों के बीच एक बंधन महसूस किए बिना नहीं रह पाते हैं।

‘हम एक दूसरे को कभी आंख मिलाकर नहीं देख सके’-नसीरुद्दीन

ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे को दिए गए इंटरव्यू में नसीरुद्दीन ने कहा- ‘हम (मेरे पिता और मैं) कभी एक दूसरे से आंख मिलाकर नहीं देख सकते थे। जब मैं बहुत छोटा था तो वह मुझसे बहुत प्यार करते थे, ऐसा मुझे बताया गया है। फिर उन्होंने मेरे लिए प्यार खो दिया क्योंकि मैं स्कूल में अच्छा नहीं था।

उन्होंने खुद हाई स्कूल तक पढ़ाई की थी, इसलिए वो अपने बच्चों को अच्छी तरह से पढ़ाना चाहते थे। वो बेताब थे कि उनके बच्चे पढ़ाई में अच्छे हों। उन्होंने हमें सबसे अच्छी शिक्षा देने की कोशिश की, जितना वो कर सकते थे।’

‘मेरे पास तीन जुनून थे: थिएटर, सिनेमा और क्रिकेट’

ऐसा नहीं है कि वह किसी भी तरह से अमीर थे, लेकिन उन्होंने अपने वेतन का एक बड़ा हिस्सा हमें नैनीताल के एक स्कूल में भेजने में खर्च किया, जिसे वह अच्छा मानते थे। वह मुझे पूरी तरह से कभी नहीं समझ सके क्योंकि मेरे पास तीन जुनून थे: थिएटर, सिनेमा और क्रिकेट। इन तीनों को उन्होंने नकार दिया। उन्हें डर था कि मैं क्रिकेटर बनने की कोशिश करूंगा, हालांकि, मुझे बहुत पहले ही एहसास हो गया था कि मैं क्रिकेटर नहीं बन सकता।

नसीरुद्दीन को इंजीनियर बनाना चाहते थे पिता अले मोहम्मद

मेरे लिए एक्टिंग ही एकमात्र ऑप्शन बचा था उन्होंने यह कहते हुए डॉक्टर बनने की जिद्द की कि तुम्हारा बड़ा भाई इंजीनियर है औ दूसरा आर्मी ऑफिसर है। उनकी इच्छा के विरुद्ध जाकर मैं इंस्टीट्यूट गया और एक्टिंग सीखी। वह कभी नहीं समझ पाए कि मैं क्या कर रहा था और उन्होंने अपनी नाराजगी बहुत स्पष्ट कर दी थी।

जब भी पिता से झगड़ा होता, मां मुझे दिलासा देती थीं

मां को याद करते हुए नसीरुद्दीन शाह ने कहा- ‘मेरी मां इसके बारे में बहुत सरल और शांत थीं। जब भी पिता से मेरा झगड़ा होता, तो वो मुझे दिलासा देती थीं। लेकिन उन्होंने भी मुझे कभी नहीं समझा। इसके बावजूद उनका प्यार हमेशा बिना किसी शर्त के प्यार किया। मेरे पिता के प्यार में शर्त थी। उन्होंने मुझे अस्वीकार कर दिया, जो बहुत बड़ी गलती थी। मैं अपने बच्चों के साथ ऐसा करने से हमेशा बचता हूं।’

पहली बार अपनी मिली हुई फीस से उन्हें 1000 रुपए दिए, तो वह बहुत खुश हुए

नसीरुद्दीन ने बताया कि उनके पिता की एकमात्र चिंता यह थी कि वो अपना घर चला सकें। उन्होंने कभी भी उनके किसी भी काम को नहीं देखा। नसीरुद्दीन ने कहा- ‘आखिरकार मैंने एक फिल्म की जो उन्होंने देखी और उन्हें पसंद की। जब मैंने उन्हें पहली बार अपनी मिली हुई फीस से उन्हें 1000 रुपए दिए, तो वह बहुत खुश हुए। हालांकि, इसके कुछ देर बाद ही उनकी मौत हो गई। हम उस रिश्ते को कभी ठीक नहीं कर पाए और यह अब भी मुझे परेशान करता है। यही वजह है कि मैं कभी चाहता कि मेरे बच्चों के साथ ऐसा हो।’

बच्चों के साथ अपने रिश्ते पर नसीरुद्दीन ने बात की

बच्चों के साथ अपने रिश्ते के बारे में बात करते हुए कहा- ‘मैं उनसे दोस्ती करना चाहता था। मैं चाहता था कि जब उनका मन करे तो वो मुझे गला लगा सकें..या जब उनका मन करे तो मुझे पीठ पर थपथपाएं।