आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : आज माधुरी दीक्षित का 56वां जन्मदिन है। इस मौके पर हम आपको ले चलते हैं झारखंड के जमशेदपुर। यहां के साक्षी मार्केट में बसंत सिनेमा के पास एक चाट की दुकान है। नाम है मनोहर चाट। इस दुकान की चाट जितनी फेमस है, उससे ज्यादा फेमस हैं इसके मालिक पप्पू सरदार। ये फिल्म एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित के फैन के रूप में इतने फेमस हैं कि अगर चिट्ठी पर पते की जगह सिर्फ माधुरी दीक्षित का फैन, जमशेदपुर, झारखंड लिखकर भी पोस्ट कर दें तो ये चिट्ठी इन तक ही पहुंच जाएगी।
पप्पू सरदार को ऐसे ही माधुरी का सबसे बड़ा फैन नहीं कहा जाता है। खुद माधुरी ने इन्हें राखी बांधी है। 27 सालों से माधुरी का बर्थडे धूमधाम से बना रहे हैं। 1999 में जब माधुरी अमेरिका में शादी कर रही थीं, तो पप्पू सरदार ने जमशेदपुर में बारात निकालकर 200 लोगों को रिसेप्शन की पार्टी भी दी थी। इन्होंने एक अलग कैलेंडर भी बनाया है, जो माधुरी के जन्मदिन यानी 15 मई से शुरू होता है।
ये जब भी माधुरी की बात करते हैं उन्हें अपनी बहन और उनके पति डॉ. श्रीराम नेने को जीजाजी ही बोलते हैं। इनकी दीवानगी पर अमेरिका के कुछ रिसर्चर भी रिसर्च करने भारत आ चुके हैं और बाकायदा इन पर एक पूरा आर्टिकल अपनी रिसर्च बुक में भी छापा है।
माधुरी के बर्थडे के मौके पर दैनिक भास्कर ने बात की धक-धक गर्ल के सबसे बड़े फैन पप्पू सरदार से…..
कैसे माधुरी के फैन बने पप्पू सरदार?
पप्पू सरदार कहते हैं, “1988 में माधुरी दीक्षित की फिल्म तेजाब रिलीज हुई। मैं उनका फैन था उनकी हर पिक्चर देखता था और उनकी कई तस्वीरें अपनी दुकान में लगाता था। फिल्म तेजाब में लोगों को माधुरी का डांस पसंद आया, लेकिन मुझे वो पसंद नहीं आया। मुझे सबसे ज्यादा पसंद वो सीन आया जब माधुरी अपने पिता बने अनुपम खेर से कहती हैं कि मुन्ना के पास जो कुछ है वो उसका अपना है। वो पत्नी की कमाई नहीं खाता, ना किसी से उधार लेता है। उस दिन के बाद से मैंने न कभी लोन लिया, न उधार। जो कुछ हो, एक वक्त की रोटी हो, लेकिन अपनी हो।’’
पहली बार जन्मदिन पर दुकान का सब कुछ कर दिया मुफ्त
“एक दिन मैंने मायापुरी में पढ़ा कि 15 मई को माधुरी का जन्मदिन होता है, तो मैंने 1996 में पहली बार माधुरी का जन्मदिन मनाया। मुझे कोई आइडिया नहीं था कि बर्थडे कैसे मनाना है। मैंने अपनी चाट की दुकान का सब कुछ फ्री में लोगों को खिलाया। मुफ्त खाना मिलने पर ऐसी भीड़ जमा हुई कि प्रशासन के लोगों ने मुझे बहुत डांटा, लेकिन मुझे उनकी डांट से फर्क नहीं पड़ा। कोई पागल, कोई बेवकूफ कोई दीवाना कहता था। फिर भी मैंने बर्थडे मनाने का ट्रेंड जारी रखा।”
जब अगले साल 1997 में दूसरी बार बर्थडे मनाया तो फिर प्रशासन से बहुत डांट पड़ी। 1998 में मीडिया को खबर लगी तो हर कोई मेरा सपोर्ट करने लगा। इस बार प्रशासन के लोगों ने भी मेरा सहयोग करना शुरू कर दिया। तब से आज तक हर साल उनका जन्मदिन धूमधाम से मना रहा हूं।”