आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भारत में केवल दो ही नदियां हैं जो पूरब से पश्चिम की ओर बहती हैं। नर्मदा और ताप्ती। नर्मदा विंध्य पर्वत माला और सतपुड़ा पर्वत माला द्वारा बनाई गई एक रिफ्ट वैली में बहती है और अन्य पर्वत श्रेणियों के बीच मार्ग बनाती है। नर्मदा नदी मध्यप्रदेश में 1077 किलोमीटर बहती है। समूचे विश्व में इसे दिव्य और रहस्यमयी नदी माना जाता है। इसकी महिमा का वर्णन चारों वेदों की व्याख्या में, स्कंद पुराण के रेवा खंड में किया गया है।
इस नदी का प्राकट्य ही विष्णु द्वारा अवतारों के लिए राक्षस बध के प्रायश्चित के लिए प्रभु शिव द्वारा किया गया है। मैकाल पर्वत पर कृपा सागर भगवान शंकर द्वारा 12 वर्ष की कन्या के रूप में इसका अवतरण किया गया। महा रूपवती होने के कारण विष्णु आदि देवताओं ने इस कन्या का नामकरण नर्मदा किया। इस दिव्य कन्या नर्मदा ने उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर काशी के पंचकोशी क्षेत्र में 10 हजार दिव्य वर्षों तक तपस्या करके भगवान शिव से ऐसे वरदान प्राप्त किए जो अन्य किसी नदी और तीर्थ के पास नहीं है।
नर्मदा को यह वरदान प्राप्त है:- प्रलय में भी मेरा नाश ना हो। मैं विश्व में एकमात्र पापनाशिनी के रूप में प्रसिद्ध होऊं। मेरा हर पाषाण शिवलिंग के रूप में बिना प्राण प्रतिष्ठा के पूजित हो। विश्व में हर शिव मंदिर में इसी दिव्य नदी के नर्वदेश्वर शिवलिंग जी विराजमान हैं। जिन्हें बिना प्राण प्रतिष्ठा के स्थापित किया जा सकता है।
नर्मदा की 21 सहायक नदियां हैं, बाईं ओर वरनार, बंजर, दूधी, शक्कर, गंजाल, तवा, छोटी तवा, कुंदी, देव, गोई, गार नदियां हैं जबकि दाएं तरफ हिरन, तिंदौली, बरना, चंद्र केशर, चोरल कानर, मान, ऊंटी और हथनी नदियां हैं। जो नर्मदा में आकर समाहित होती हैं।
18 वर्षों में नर्मदा की सहायक नदियों पर अतिक्रमण और अवैध उत्खनन से प्रहार हुआ है। वे अब सूख रहीं हैं। नर्मदा को बचाने के लिये उन्हे भी बचाना जरूरी है।
दुनिया की द्वितीय सबसे बड़ी ट्रेंच वैली जो पूरे देश का पेट भरने की क्षमता रखती है, नर्मदा का आंगन है। सतपुड़ा का आंचल दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मेगा बायोडायवर्सिटी है। इसे इन 18 सालों में धन कमाने की अंधाधुंध हवस में सत्ता केरसूखदारों और सरमायेदारों ने खोखला कर दिया है।
रेन फारेस्ट उजाड़ दिये गये हैं। शराब और नशे के कारोबार ने इसके सास्कृतिक विस्तार को क्षति पहुंचाई है।
नालों और उद्योगों के अपशिष्ट के मिलने से पानी की गुणवत्ता प्रभावित हुई है।जलीय जीवन नष्ट हुआ है।नदी के नैसर्गिक फिल्टरों को नष्ट कर दिया गया है।