आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: 18 अगस्त 1934 को जन्मे मशहूर गीतकार, फिल्ममेकर और शायर गुलजार का आज 89वां बर्थडे है। गुलजार किसी परिचय के मोहताज नहीं। उन्होंने हिंदी सिनेमा सहित हॉलीवुड में भी अपनी लेखनी की छाप छोड़ी है। तेरे बिना जिंदगी से शिकवा नहीं, मैंने तेरे लिए सात रंग के सपने जैसे शानदार लिरिक्स उन्हीं की देन हैं। गुलजार 36 पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं।
पढ़िए, गुलजार के बर्थडे पर उनकी लाइफ से जुड़े बेहतरीन किस्से…
पिता की दूसरी पत्नी की संतान हैं गुलजार
आज के ही दिन ब्रिटिश इंडिया के झेलम जिले के दीना गांव (अब पाकिस्तान में) में मक्खन सिंह कालरा और सुजान कौर के घर एक बेटे का जन्म हुआ। नाम रखा गया संपूर्ण सिंह कालरा, जिन्हें बाद में दुनिया ने गुलजार के नाम से जाना।
मक्खन सिंह ने तीन शादियां की थीं, गुलजार दूसरी पत्नी के बेटे हैं। जन्म के कुछ समय बाद ही उनकी मां का निधन हो गया था, जिसके बाद उनकी परवरिश मक्खन सिंह की तीसरी पत्नी ने की।
घर से दूर गोडाउन में सोकर कई रातें गुजारीं
दीना में परिवार की कपड़े की दुकान थी। कुछ समय बाद पिता ने दिल्ली के सदर बाजार में थैले और टोपी की दुकान खोल ली। पिता के साथ गुलजार भी दिल्ली शिफ्ट हो गए। दिल्ली के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा था कि यहां पर वो शाॅप की देखरेख के लिए उसी के गोडाउन में सोते थे। फिर अगले दिन सुबह उठकर घर जाते थे और वहां से स्कूल।
खाना खाकर वो करीब 8 बजे गोडाउन वापस चले जाते। जल्दी सोने की भी आदत नहीं थी। लाइट की भी सुविधा नहीं और समय गुजारने का कोई साधन भी नहीं था। यही आपदा उनके लिए अवसर साबित हुई। गोडाउन के सामने एक बुक स्टॉल थी, जहां पर किताबें किराए पर मिलतीं। वक्त गुजारने के लिए गुलजार ने किताबें पढ़नी शुरू कीं। क्राइम थ्रिलर किताबों का ऐसा चस्का लगा कि वो रात-रात भर जागकर पूरी किताब पढ़ जाते।
रवींद्र नाथ टैगोर की किताब ने बदल दी जिंदगी
गुलजार हर रोज एक नई किताब लेने चले जाते। उनकी इस आदत से स्टॉल का मालिक भी परेशान हो गया। दरअसल, स्टॉल पर सवा आने पर हफ्ते भर किताबें पढ़ने की छूट थी। लोग अमूमन एक दो किताबें ही पढ़ते थे, लेकिन गुलजार हर रोज नई किताब लेते। उनकी इस हरकत से एक दिन तंग आकर स्टॉल के मालिक ने उन्हें रवींद्र नाथ टैगोर की किताब का उर्दू ट्रांसलेशन दे दिया। इस किताब ने गुलजार की पूरी दुनिया ही बदल दी और इसे पढ़ने के बाद ही उन्होंने राइटर बनने का मन बना लिया। किताबें पढ़ने के साथ उन्होंने लिखना भी शुरू कर दिया।