आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में सामाजिक न्याय के लिए निरंतर बुनियादी नागरिक सुविधाएँ बढ़ाएंगे और कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन को मजबूत बनाएंगे। गरीब कल्याण हमारा दृढ़-संकल्प है। मध्यप्रदेश निरंतर विकास कर रहा है। समग्र प्रयासों से गरीबी कम होती है। सिर्फ आय वृद्धि ही गरीबी कम होने का आधार नहीं बल्कि अधोसंरचना की मजबूती के साथ नागरिकों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने, पर्यावरण के संतुलन, वन्य-प्राणियों के संरक्षण जैसे कार्यों से सम्पूर्ण समृद्धि संभव होती है। संसाधनों पर सभी नागरिकों का अधिकार है। आज मध्यप्रदेश यदि सजग मध्यप्रदेश के रूप में गरीबी उन्मूलन योजनाओं में अग्रणी बना है, तो इसके पीछे गत दो दशक में बिजली, पानी, सड़क, सिंचाई जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं को मजबूत बनाने के निरंतर किए गए प्रयास शामिल हैं। आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने और आर्थिक विकास दर बढ़ाने के प्रयास सफल हुए हैं। मध्यप्रदेश ने जो उपलब्धि अर्जित की है, वह गर्व का विषय है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने देश में गरीबी के बोझ को कम करने में मध्यप्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत के योगदान को महत्वपूर्ण बताते हुए प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने प्रदेश के करोड़ों नागरिकों के साथ ही प्रदेश के विकास में सक्रिय टीम के सभी सदस्यों को गरीबी कम करने के प्रयासों में मिली सफलता के लिए बधाई दी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज कुशाभाऊ ठाकरे सभागृह में नीति आयोग के प्रतिवेदन पर प्रबुद्धजन के साथ परिचर्चा सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान को बहुआयामी गरीबी पर तैयार रिपोर्ट की प्रति सौंपी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि मध्यप्रदेश में 1 करोड़ 36 लाख लोगों को गरीबी से मुक्त करने की यात्रा तय की गई है। आज मध्यप्रदेश राज्य नीति एवं योजना आयोग की ओर से प्रकाशित नीति की संक्षिप्त प्रति भी जारी की गई। कार्यक्रम में मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, सचिव मुख्यमंत्री एवं जनसंपर्क श्री विवेक पोरवाल सहित वरिष्ठ अधिकारी, अर्थशास्त्री और शोध विद्यार्थी भी काफी संख्या में उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-21 के मध्य 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। मध्यप्रदेश में गरीबी की तीव्रता जो 47.25 प्रतिशत होती थी वो घटकर 43.70 प्रतिशत रह गई है। बहुआयामी गरीबी की तीव्रता स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन आयामों के औसत प्रतिशत को ध्यान में रखकर देखी जाती है।
रोटी, कपड़ा, मकान, रोजगार प्राप्त कर लेना ही गरीबी से मुक्ति नहीं
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह एक अहम प्रश्न है कि गरीबी की परिभाषा क्या है। बुनियादी आवश्यकता रोटी, कपड़ा, मकान, रोजगार का साधन, पढ़ाई और दवाई की व्यवस्था ही गरीबी से मुक्ति नहीं है। प्रत्येक मनुष्य सुखी जीवन का आकांक्षी होता है। इसके लिए शरीर, आत्मा, बुद्धि और मन का सुख आवश्यक माना जाता है। एक समय था, मध्यप्रदेश में न बिजली थी, न पर्याप्त सड़कें, न पानी की व्यवस्था। मध्यप्रदेश में लगभग दो दशक में साढ़े सात लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता को बढ़ाकर 47 लाख हेक्टेयर तक लाने में सफलता मिली है। अनाज का उत्पादन बढ़ा। प्रति व्यक्ति आय जो मात्र 11 हजार थी, आज बढ़कर एक लाख 40 हजार रूपए हो गई है। देश की अर्थ-व्यवस्था में मध्यप्रदेश का योगदान 3 प्रतिशत से बढ़कर 4.8 प्रतिशत हुआ है
बेटियों और बहनों को समृद्ध बनाने से गरीबी में कमी
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में बेटियों को बोझ माना जाता था। लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना योजना के क्रियान्वयन से महिलाओं को राशि के साथ ही उनके सम्मान में वृद्धि का कार्य हुआ है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश पहला राज्य हैं जहाँ स्थानीय निकायों में बहनों और बेटियों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई। पुलिस में भी बेटियों को 30 प्रतिशत पदों पर नियुक्त करने की पहल हुई। वर्ष 2017 में बैगा, भारिया और सहरिया जनजाति के परिवारों को प्रतिमाह एक हजार रूपए राशि देने की व्यवस्था की