आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : शिव ठाकरे आज के समय में रियलिटी शो का जाना-पहचाना चेहरा हैं। अभी वो खतरों के खिलाड़ी में नजर आ रहे हैं। इससे पहले वो बिग बॉस मराठी के दूसरे सीजन के विनर और बिग बॉस 16 के रनर अप रहे।
ऊपर की लाइन से लग रहा होगा कि शिव का ये सफर बहुत आसान रहा होगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। उनका ये सफर शुरुआत से ही संघर्षों से भरा रहा। कम उम्र से ही उन्होंने खुद की जरूरतों को पूरा करने के लिए कमाना शुरू कर दिया।
कभी न्यूजपेपर बेचे तो कभी पान की दुकान पर काम किया। घर खरीदने के लिए मां को भी गहने बेचने पड़े। कोरियोग्राफी के पैसे से बहन की शादी भी कराई। ऐसे ना जाने कितने संघर्ष को पार कर शिव इस मुकाम पर पहुंचे हैं।
पढ़िए शिव ठाकरे की संघर्ष भरी कहानी उन्हीं की जुबानी…
कभी अखबार तो कभी मूर्तियां बेचनी पड़ीं
मेरा जन्म 9 सितंबर को मुंबई के अमरावती में हुआ था। घर की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं थी। मां-पापा ने जीरो से हर चीज की शुरुआत की थी। उन्हीं की तरह मुझे भी अपनी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए मेहनत करनी पड़ती थी। मैं कम उम्र से ही कमाने लगा।
मेरे अंकल की अखबार एजेंसी थी, मैंने उनके यहां अखबार डिलीवरी का काम करना शुरू कर दिया। इसी तरह मैंने कई छोटे-मोटे काम किए। गुजारे के लिए कभी गणपति बप्पा की मूर्तियां बेचीं, कभी दिवाली पर लक्ष्मी की मूर्ति और पटाखे भी बेचे।
पापा की पान की शाॅप थी, जिस पर भी कभी-कभार काम करता था। दीदी ने भी यहां पर काम किया था। कमाए हुए पैसे से अपने लिए और भाई के लिए शॉपिंग करता। मैं इन छोटे-छोटे कामों से खूब सीखा हूं और अब मैं इतना कॉन्फिडेंट हो गया हूं कि एक पत्थर को भी बेच सकता हूं।
कोरियोग्राफी के पैसे से बाइक ली और कॉलेज की फीस भरी
डांस से मुझे बहुत लगाव है। बचपन से मुझे डांस करना बहुत पसंद है। अमरावती में मेरे एक भाई थे, जिनसे मैंने डांस सीखा। बाकी मैंने यूट्यूब से सीखा। डांस के लिए मैं अलग-अलग जगह से नॉलेज बटोरता गया। इस स्किल की बदौलत लोग मुझे जानने लगे। कुछ समय बाद मैंने स्कूल के बच्चों को डांस सिखाना शुरू कर दिया। संगीत संध्या के लिए भी कोरियोग्राफ किया। इस वक्त मैं दसवीं में था।