आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : शिलॉन्ग में प्रतिष्ठित नॉर्थ ईस्टर्न इंदिरा गांधी रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंसेज (NEIGRIHMS) द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (IAMLECON 2023) फोरेंसिक मेडिसिन एंड लीगल साइंसेज पर संपन्न हुआ । सम्मेलन में देश के 23 राज्यों और 5 देशों के लगभग 300 प्रतिनिधियों ने भाग लिया । सम्मेलन में फोरेंसिक चिकित्सा और कानूनी विज्ञान में प्रगति और चुनौतियों पर मूल्यवान चर्चाओं को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र में प्रसिद्ध पेशेवरों और विशेषज्ञों को एक साथ लाया गया ।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल से एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें अर्नीत अरोड़ा, राघवेंद्र कुमार विदुआ, मोइरांगथेम संगीता (वरिष्ठ रेजिडेंट) और सिबी विजयकुमार (जूनियर रेजिडेंट एकेडमिक) शामिल हैं ने सम्मेलन के दौरान असाधारण शोध पत्र प्रस्तुत किए एवं विशेषज्ञता के अपने संबंधित क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया ।
अरनीत अरोड़ा ने “पोस्टमॉर्टम माइक्रोबायोलॉजी विकास और प्रयोज्यता” विषय पर प्रस्तुति दी । उनके व्यावहारिक शोध ने पोस्टमॉर्टम माइक्रोबायोलॉजी के उभरते क्षेत्र और फोरेंसिक जांच में इसके व्यावहारिक प्रभाव पर प्रकाश डाला । एम्स भोपाल देश का पहला और एकमात्र संस्थान है जहां पोस्ट मार्टम माइक्रोबायोलॉजी शुरू की गई है और विकसित की जा रही है ।
राघवेंद्र कुमार विदुआ के शोध पत्र “एस्टीमेशन ऑफ टाइम सिंस डेथ यूजिंग बायोकेमिकल मार्कर्स इन साइनोवियल फ्लूइड” द्वारा सिनोवियल फ्लूइड में पाए जाने वाले जैव रासायनिक मार्करों का उपयोग करते हुए मृत्यु के बाद के समय के आकलन में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की गई । उनके अभिनव दृष्टिकोण ने फोरेंसिक विश्लेषण में इन मार्करों की क्षमता का योगदान प्रदर्शित किया ।
मोइरंगथेम संगीता, सीनियर रेजिडेंट FMT, ने “हिस्टोपैथोलॉजी इन ओपन मेडिकोलेगल ऑटोप्सी केस ए रिवार्डिंग परस्यूट” शीर्षक से अपनी प्रस्तुति में अपनी विशेषज्ञता साझा की । उनके व्यापक अध्ययन ने मेडिकोलीगल ऑटोप्सी में हिस्टोपैथोलॉजिकल परीक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला, जिससे मृत्यु के कारण और तरीके के सटीक निर्धारण में इसकी भूमिका पर जोर दिया गया ।