आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : प्रभास, कृति सैनन और सैफ अली खान स्टारर आदिपुरुष 16 जून को रिलीज हो रही है। इसकी कहानी रामायण पर आधारित है जिसमें प्रभास भगवान राम, कृति सीता और सैफ रावण बने हैं। मौजूदा दौर में पौराणिक विषयों पर फिल्म बनाना भले ही कम हो गया है, लेकिन रामायण पर फिल्म बनाने का फॉर्मूला हमेशा सुपरहिट साबित हुआ है।

यही वजह है कि 111 साल के हिंदी सिनेमा के इतिहास में रामायण पर अब तक 48 फिल्में और 18 टीवी शो बन चुके हैं और ज्यादातर फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की है। 1917 में यानी 106 साल पहले आई लंका दहन ने 10 दिनों में ही 35 हजार रुपए की कमाई कर ली थी।

इसकी कमाई बैलगाड़ियों में भरकर प्रोड्यूसर तक पहुंचाई जाती थी, क्योंकि टिकट बिक्री में ज्यादातर सिक्के ही आते थे। 1943 में आई राम-राज्य ने भी उस दौर में 60 लाख रुपए कमाए थे। ये फिल्म महात्मा गांधी की फेवरेट फिल्मों में से एक थी।

वैसे, दिलचस्प बात ये है कि भले ही रामायण पर इतनी फिल्में और टीवी शो बन चुके हैं, लेकिन आदिपुरुष से पहले केवल एक फिल्म में राम को मूंछों में दिखाया गया है। ये फिल्म 23 साल पहले यानी 2000 में रिलीज हुई थी जिसका नाम देवुल्लू था। ये तेलुगु फिल्म थी जिसमें राम की भूमिका निभा रहे श्रीकांत को मूंछों में दिखाया गया था।

106 साल पहले रिलीज हुई थी रामायण पर बनी पहली फिल्म लंका दहन

पौराणिक विषयों पर फिल्में बनने का चलन भारत में 106 साल पहले 1917 के आसपास शुरू हुआ। 1917 में आई फिल्म लंका दहन हिंदी सिनेमा में रामायण पर बनी पहली फिल्म थी। फिल्म की खास बात ये थी कि इसमें राम और सीता की भूमिका एक ही एक्टर ने निभाई थी जिनका नाम अन्ना सालुंके था। उस दौर में महिलाएं फिल्मों में काम करने से कतराती थीं इसलिए अन्ना सालुंके ने फिल्म में दो किरदार निभाए।

इसी वजह से उनके नाम हिंदी सिनेमा का पहला डबल रोल करने का भी रिकॉर्ड है। फिल्म की कहानी राम के 14 साल के वनवास से शुरू हुई थी और रावण के वध पर खत्म हुई थी।

इस साइलेंट फिल्म को दादा साहेब फाल्के ने डायरेक्ट किया था जिन्होंने हिंदी सिनेमा की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाई थी जो कि 1912 में रिलीज हुई थी। दरअसल, एक बार दादा साहेब दौरे पर विदेश गए जहां उन्होंने ईसा मसीह पर बनी फिल्म देखी। इसे देखकर उन्हें लगा कि भारत में भी पौराणिक फिल्में बनाई जा सकती हैं।

राजा हरिश्चंद्र बनाने के बाद उन्होंने 1913 में मोहिनी भस्मासुर और फिर 1917 में लंका दहन बनाई। इसे देखने के लिए थिएटर के बाहर लोगों की लंबी कतारें लगी रहती थीं। लोग जूते-चप्पल उतारकर थिएटर के अंदर जाया करते थे। लंका दहन लगातार 23 हफ्ते तक थिएटर में लगी रही थी। बॉक्स ऑफिस पर जो भी कमाई होती थी, उसे बैलगाड़ियों में भरकर प्रोड्यूसर तक पहुंचाया जाता था। 10 दिनों में ही इसने 35,000 रुपए की कमाई की थी।

मुस्लिम एक्टर खलील बने राम और कृष्ण, खूब हुई आलोचना

1920 का दौर आते-आते माइथोलॉजिकल फिल्मों का चलन बढ़ता गया। यही वजह रही कि कई बड़े निर्माता-निर्देशक रामायण, महाभारत के प्रसंगों पर फिल्म बनाने लगे। इन्हीं फिल्मों से खलील साइलेंट और बोलती फिल्मों के पहले सुपरस्टार बने। उन्होंने 1920 से 1940 के दौर में कई पौराणिक फिल्मों में काम किया।