आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम), भोपाल ने आईआईएफएम के एलुमनाई एसोसिएशन द्वारा आयोजित “फ्रेंड्स ऑफ आईआईएफएम” श्रृंखला के तहत “पॉलीक्राइसिस पर्यावरण में समावेशी विकास” पर परस्पर संवादात्मक परिचर्चा सत्र आयोजित किया। सत्र में वैश्विक मुद्दों पर प्रकाश डालने और स्थायी भविष्य के लिए समाधान तलाशने के लिए प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों द्वारा चर्चा की गई। इस अवसर पर सम्मानित अतिथियों के रूप में, विश्व बैंक की प्रैक्टिस मैनेजर तथा आई.आई.एफ.एम पीजीडीएफएम 1991 बैच की छात्रा वरालक्ष्मी वेमुरु एवं भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव एवं आईआईएफएम के एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप चक्रवर्ती उपस्थित रहे।
आईआईएफएम के निदेशक के रविचंद्रन ने वैश्विक मंच पर आईआईएफएम के पूर्व छात्रों द्वारा दिए गए उल्लेखनीय योगदानो पर प्रकाश डाला। उन्होंने महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए समावेशी संवाद को बढ़ावा देने में ऐसे सत्रों के महत्व पर जोर दिया। मुख्य वक्ता वरलक्ष्मी द्वारा “पॉलीक्राइसिस पर्यावरण और सामाजिक स्थिरता में समावेशी विकास का समर्थन” विषय पर एक आकर्षक व्याख्यान दिया। उन्होंने वैश्विक स्तर पर तीन महत्वपूर्ण चुनौतियों यानी 3 सी – कोविड, क्लाइमेट चेंज और कनफ्लिक्ट से निपटने की तत्काल आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया।
कोविड-19 के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए, वरालक्ष्मी ने कहा, अत्यधिक गरीबी 2019 में 8.4% से बढ़कर 9.3% हो गई है, जिस से लाखों लोग अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वहीँ जलवायु परिवर्तन पर जोर देते हुए, उन्होंने यूरोप में चिंताजनक स्थिति पर प्रकाश डाला, जहां तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा, “यदि पर्याप्त उपाय नहीं किए गए, तो अनुमानित है की 216 मिलियन लोगों को 2050 तक अनुपयोगी परिस्थितियों के कारण विभिन्न स्थानों पर पलायन करना पड़ सकता है, और 2030 तक 132 मिलियन लोग निर्धनता की स्तिथि में भी प्रवेश कर सकते हैं।” सत्र के दौरान, प्रतिभागियों ने वरलक्ष्मी के साथ एक परस्पर संवादात्मक प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लिया। छात्रों ने विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर सक्रिय रूप से चर्चा की। सत्र में समावेशी विकास और सामाजिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए 3 सी द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डाला गया। इस सत्रके माध्यम से स्थायी भविष्य के लिए वैश्विक मुद्दों का समाधान खोजने में युवाओं को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया गया।