आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : शार्क टैंक इंडिया के जज और शादी डॉट कॉम के फाउंडर अनुपम मित्तल ने बॉलीवुड फिल्मों पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि उन्हें सलमान खान की तेरे नाम और शाहरुख खान की दिलवाले-दुल्हनिया ले जाएंगे और डर जैसी फिल्मों का कॉन्सेप्ट समझ नहीं आया था।

अनुपम ने कहा कि तेरे नाम में एक लड़का, लड़की के पीछे किस कदर पागल हो जाता है, उस फिल्म से समाज को टॉक्सिसिटी के अलावा कुछ नहीं मिला था। अनुपम के मुताबिक, बॉलीवुड फिल्मों में शादियों को ट्रेडिशन नहीं बल्कि एक इवेंट की तरह दिखाया जाता है, जो शादी-विवाह के असली वैल्यूज को नहीं दिखा पाते।

बड़जात्या-करण जौहर की फिल्मों में शादियों को लेकर अलग कॉन्सेप्ट दिखाया गया

अनुपम मित्तल हाल ही में अनुपमा चोपड़ा के साथ एक इंटरव्यू में शामिल हुए। वहां उनसे बॉलीवुड फिल्म मेकिंग के कॉन्सेप्ट और रोमाटिंक फिल्मों के बारे में अपने विचार रखने को कहा गया।

जवाब में अनुपम ने कहा, ‘मैं इन फिल्मों की सराहना नहीं करता। आप सूरज बड़जात्या और करण जौहर की फिल्में देखते हैं, उसमें शादी विवाह एक इवेंट के नाम पर सिमट के रह जाता है। उन फिल्मों को देखने के बाद ऐसा फील होता है कि फोकस शादी से जुड़े रीति रिवाजों पर नहीं है बल्कि शादी में होने वाले तड़क-भड़क पर है। ऐसा लगता है कि लोग शादी इसलिए नहीं करते कि सच में एक रिश्तों के बंधन में बंधना है बल्कि इसलिए करते हैं ताकि इस सेरेमनी में हिस्सा लेने का मौका मिले। ‘

तेरे नाम और डर में नेगेटिव बिहेवियर दिखाया गया

अनुपम ने आगे कहा, ‘हम भोले-भाले लोग हैं, हमें जो दिखाया जाता है, उस पर विश्वास कर लेते हैं। सलमान की एक फिल्म (तेरे नाम) थी, जिसमें वो लड़की के लिए पागल हो जाते हैं, वहीं शाहरुख की वो के..के किरण वाली फिल्म (डर) थी। ये दोनों फिल्में सही संदेश नहीं देतीं।

इनमें दिखाया जाता है कि हीरो अपने आप को मार रहा, काट रहा है, इधर-उधर कूद रहा है। ये एक नेगेटिव बिहेवियर है। हम ऐसी फिल्मों को देख कर यही सब हरकतें सीखते हैं।’ हालांकि अनुपम ने कहा कि अब बॉलीवुड में रियलस्टिक फिल्में बन रही हैं।