पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा शिमला समझौते को “मृत” घोषित करने का बयान केवल एक व्यक्तिगत चूक नहीं था, बल्कि यह देश की विदेश नीति में गहराई से व्याप्त असमंजस और अंतर्विरोधों की ओर इशारा करता है। उनके इस बयान के बाद जिस तीव्रता से पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सफाई दी और कहा कि शिमला समझौता अब भी प्रभावी है, वह एक गंभीर कूटनीतिक असहजता को उजागर करता है।
1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित शिमला समझौता केवल एक युद्ध के बाद का शांतिपत्र नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण द्विपक्षीय संवाद की आधारशिला रहा है। भारत वर्षों से इस समझौते को इस आधार पर मान्यता देता रहा है कि इससे किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है—विशेषकर कश्मीर मुद्दे पर। ऐसे में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का यह कहना कि यह समझौता अब निष्प्रभावी हो चुका है, न केवल भारत के प्रति एक आक्रामक संकेत है, बल्कि पाकिस्तान की संप्रभुता की कूटनीतिक गंभीरता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
परेशानी की बात यह है कि यह कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के भीतर से विदेश नीति पर भ्रमजनक बयान सामने आया हो। पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी और सैन्य नेतृत्व के बीच भारत नीति को लेकर पहले भी विरोधाभास सामने आ चुके हैं। लेकिन जब देश का रक्षा मंत्री ही एक अंतरराष्ट्रीय समझौते को मृत बता दे, और फिर उसी दिन विदेश मंत्रालय उसे जीवित घोषित करे—तो यह केवल असंगति नहीं, एक कूटनीतिक विफलता है।
भारत के लिए यह स्थिति चौंकाने वाली नहीं है, बल्कि यह उसके उस पुराने तर्क को ही पुष्ट करती है कि पाकिस्तान के साथ किसी भी समझौते पर दीर्घकालिक भरोसा करना कठिन है। यदि एक उच्च पदस्थ मंत्री खुद ही अपने देश की प्रतिबद्धताओं पर सवाल उठा दे, तो फिर भारत या अन्य कोई भी देश पाकिस्तान से स्थिर संबंधों की अपेक्षा कैसे कर सकता है?
शिमला समझौते की वैधता को लेकर पाकिस्तान की यह दोहरी भाषा सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि को भी नुकसान पहुंचाती है। अगर पाकिस्तान वाकई दक्षिण एशिया में स्थायित्व और सम्मानजनक संवाद चाहता है, तो उसे पहले अपने घर में स्पष्टता लानी होगी।
जब तक पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व एक स्पष्ट और संयत नीति पर नहीं टिकते, तब तक शिमला समझौता केवल कागज़ पर जीवित रहेगा—उसकी आत्मा बार-बार ऐसे बयानों से घायल होती रहेगी।
#शिमला_समझौता #पाकिस्तान_विवाद #भारत_पाक_संबंध #राजनीतिक_संकट #कूटनीति #विदेश_नीति