सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: प्रदेश के उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार के मुख्य आतिथ्य में यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव 2024 के शंखनाद कार्यक्रम भंवरताल उद्यान के समीप स्थित संस्कृति थियेटर में संपन्न हुआ। इस दौरान मंत्री परमार ने यंग थिंकर्स फोरम के जबलपुर चेपटर का शुभारंभ किया और कहा कि युवाओं में चेतना व विचार के लिए यह एक अच्छा मंच है। जिससे विजनरी युवा तैयार होंगे और आने वाली चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से करेंगे।
उन्होंने कहा कि जब चुनौती बराबरी की होती है तब विचार शक्ति से आगे बढ़ा जा सकता है। भारत विश्वगुरू था और वर्तमान में अपनी प्रगति व उन्नति से दुनिया में विशिष्ट स्थान रखता है। अच्छी सोच से भारत 2047 तक एक विकसित व समृद्धशाली देश होगा। अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाने की मानसिकता से जो शिक्षा व्यवस्था शुरू की थी, उस शिक्षा व्यवस्था में हमारे इतिहास के वास्तविक तथ्य प्रकाश में नहीं आये और हमारे पूर्वज को अशिक्षित बनाने का इतिहास लिखा गया है।
भारत के पास शिक्षा व संस्कृति की एक बड़ी ताकत है। उन्होंने भारत के गौरवपूर्ण उपलब्धियों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही हमारे देश में लाखों की संख्या में गुरूकुल मौजूद थे। नालंदा जैसे विश्वविद्यालय थे। हमारी वैज्ञानिक परम्परा विकसित है और इसी आधार पर प्राकृतिक तत्वों की पूजा की संस्कृति विकसित हुई है। भारत के लोग ऐसे लोहा बनाते थे जिसमें जंग नहीं लगती थी। उन्होंने अगत्स्य संहिता का उदाहरण देकर कहा कि भारत ने ही सबसे पहले सेल का निर्माण कर वैज्ञानिक परम्परा को जारी रखा। तेरहवीं सदी में भारत के आर्किटेक्ट बालबाहू ने बीजिंग शहर का डिजाईन बनाया। परमाणु परीक्षण करके भारत ने दुनिया में अपनी शक्ति का लोहा मनवाया। भारत के वैज्ञानिक ऊर्जा के महत्व को बहुत पहले से पहचान चुके है, अब इसे साकार रूप में लाना है और 2047 तक भारत को ऊर्जा प्रदाता तथा विश्व के भरण पोषण करने वाला देश बनाया जायेगा।
भारत की परंपरा में जो ज्ञान है वहीं विज्ञान है। हम पर उपकार करने वालों को हम नहीं भूलते और उनपर कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। इसी लिये हमारी संस्कृति कृतज्ञता की संस्कृति है। उन्होंने कहा कि यूथ थिंकर्स फोरम ने अभियान शुरू किया है कि संपूर्ण भारतीय समाज के वैज्ञानिक परम्परा को सहेजा जाये। कार्यक्रम के दौरान रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जेएनकेव्हीव्ही, मंगलायतन विश्वविद्यालय के कुलगुरू तथा महाकौशल विज्ञान परिषद के पदाधिकारी सहित बड़ी तादात में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।