काबुल । अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्सों में अपना नियंत्रण बना चुके तालिबान लड़ाकों ने अब भारत को भी धमकी दे डाली है। एक ओर भारत से अफगानिस्तान को मिलने वाली मदद की तारीफ करने वाले इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन ने साथ में चेतावनी भी दी है कि अगर भारतीय सेना वहां जाती है तो यह ‘अच्छा नहीं होगा।’ तालिबान के प्रवक्ता ने ‘दूसरे देशों’ के हाल से सीखने की सलाह दी है। उनका इशारा अमेरिका की ओर था जिसने अपनी सेना करीब 20 साल तक चली जंग के बाद वापस बुला ली है। तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद सुहेल शाहीन ने एक इंटरव्यू में कहा है कि अगर भारत सेना के साथ अफगानिस्तान आता है और यहां उनकी मौजूदगी रहती है, तो यह उनके (भारत के) लिए ‘अच्छा नहीं होगा’। शाहीन ने कहा, ‘उन्होंने अफगानिस्तान में सेना और दूसरे देशों की मौजूदगी के नतीजे देखे हैं, तो उनके लिए यह खुली किताब की तरह है।’ उनका कहना है कि भारत ने अफगानिस्तान की मदद की है, पहले भी कही है और इसकी सराहना होती है।

शाहीन ने कहा है, ‘अफगानिस्तान के लोगों के लिए बांध, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रॉजेक्ट और दूसरे विकास, पुनर्निर्माण और लोगों की आर्थिक संपन्नता के लिए गए काम की हम सराहना करते हैं।’ भारतीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की बात की पुष्टि नहीं की है। शाहीन का कहना है कि अलग से कोई मीटिंग नहीं हुई है लेकिन दोहा में एक बैठक के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल मौजूद था। वहीं शाहीन का कहना है कि तालिबान की तरफ से दूतावासों और राजनयिकों को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा है, ‘हम किसी दूतावास या राजनयिक को निशाना नहीं बना रहे हैं। हमने यह अपने बयानों में कई बार कहा है। यह हमारी प्रतिबद्धता है।’ कुछ दिन पहले पकतिया में गुरुद्वारे से निशान साहिब हटाने के आरोप का भी तालिबान प्रवक्ता ने खंडन किया है। शाहीन का कहना है कि सिख समुदाय ने खुद ही वह झंडा हटाया था। उन्होंने कहा कि जब तालिबानी सुरक्षा अधिकारी वहां पहुंचे तो लोगों ने कहा कि किसी ने देख लिया तो उन्हें परेशान किया जाएगा। शाहीन का कहना है कि तलिबान के समझाने के बाद झंडा वापस लहराया गया। पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों के साथ संबंध को शाहीन ने आधारहीन आरोप बताया है। उनका कहना है, ‘ये जमीनी सच्चाई पर आधारित नहीं हैं बल्कि हमें लेकर खास नीतियों पर, राजनीतिक मंशाओं पर आधारित हैं।’ शाहीन ने दोहराया है कि अफगानिस्तान की मिट्टी को पड़ोसियों समेत किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं करने देने की नीति का पालन कर रहा है।