आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : वनडे वर्ल्ड कप के वॉर्म-अप मैच आज से शुरू हो रहे हैं। टूर्नामेंट के मुख्य मुकाबले 5 अक्टूबर से खेले जाएंगे। पिछली बार की तरह इस बार भी 10 टीमें वर्ल्ड कप में हिस्सा ले रही हैं। इनमें से 3 भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड खिताब जीतने की सबसे मजबूत दावेदार टीमें मानी जा रही हैं।

इन टीमों की दावेदारी को पुख्ता बनाने वाले टॉप फैक्टर्स को इस स्टोरी में डिकोड करने की कोशिश करते हैं।

ऑस्ट्रेलिया: 5 बार की वर्ल्ड चैंपियन, 73% वर्ल्ड कप मैच जीतती है टीम

ICC वनडे रैंकिंग में अभी नंबर-3 पर मौजूद ऑस्ट्रेलियाई टीम 5 बार की वनडे वर्ल्ड चैंपियन है। ICC के किसी भी टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया सबसे खतरनाक रहती है। उनके नाम टी-20 वर्ल्ड कप, चैंपियंस ट्रॉफी और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का खिताब भी है।

4 फैक्टर्स जो ऑस्ट्रेलिया को फेवरेट बना रहे…

फैक्टर-1: 28 साल से लगातार नॉकआउट खेल रही टीम

ऑस्ट्रेलिया की टीम 1996 से लगातार वनडे वर्ल्ड कप के नॉकआउट स्टेज में पहुंच रही ही। 1996 में टीम ने फाइनल खेला था। 1999, 2003 और 2007 में ऑस्ट्रेलिया ने खिताब की हैट्रिक जमाई। 2011 में ऑस्ट्रेलिया को क्वार्टर फाइनल में भारत से हार झेलनी पड़ी । 2015 में टीम एक बार फिर चैंपियन बनी। 2019 वर्ल्ड कप में भी कंगारुओं ने सेमीफाइनल खेला।

फैक्टर-2: वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा मैच जीतने का रिकॉर्ड

वनडे वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा मैच जीतने का रिकॉर्ड भी ऑस्ट्रेलिया के ही नाम है। टीम ने सबसे ज्यादा 94 मुकाबले खेले और सबसे ज्यादा 69 में जीत भी दर्ज की। 73.40% का जीत परसेंटेज किसी भी वर्ल्ड कप टीम में सबसे बेस्ट है। 1999 से 2011 तक तो टीम लगातार 34 मैचों में अजेय रही थी। इस दौरान एक-एक मुकाबला टाई और बेनतीजा भी था।

फैक्टर-3: भारत में सबसे ज्यादा अनुभवी विदेशी टीम

विदेशी टीमों में ऑस्ट्रेलिया ने ही 2019 के बाद से भारत में सबसे ज्यादा 14 वनडे खेले। 7 में टीम को जीत और 7 में ही हार मिली। वर्ल्ड कप में शामिल 9 विदेशी टीमों में ऑस्ट्रेलिया का 50% जीत परसेंटेज बेस्ट है। इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका जैसी टीमें इस दौरान भारत में 2 मैच भी नहीं जीत सकी।

फैक्टर-4: 15 में 13 खिलाड़ियों को IPL एक्सपीरिएंस भी

ऑस्ट्रेलिया के वर्ल्ड कप स्क्वॉड में शामिल 15 में से 13 खिलाड़ियों को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) खेलने का अनुभव है। इनमें भी 11 खिलाड़ियों ने 9 से ज्यादा मैच खेले हैं। इंडियन कंडीशन में खेलने का अनुभव टीम की स्ट्रेंथ साबित हो सकता है।

अब इंग्लैंड की दावेदारी को परखते हैंः अटैकिंग अप्रोच, 7 साल में 49 बार 300+ स्कोर बनाए

इंग्लैंड 2015 के वनडे वर्ल्ड कप में ग्रुप स्टेज से बाहर हो गया था। टीम ने यहां से अपना प्लेइंग स्टाइल बदलकर अटैकिंग अप्रोच अपनाया। इंग्लैंड ने ज्यादा से ज्यादा ऑलराउंडर्स को शामिल किया और पहली से आखिरी बॉल तक अटैक करने की स्ट्रैटजी अपनाई। अप्रोच बदलने का फायदा उन्हें मिला और टीम ने 2019 में अपने घरेलू मैदान पर वर्ल्ड कप भी जीत लिया।

4 फैक्टर्स जो इंग्लैंड को फेवरेट बना रहे…

फैक्टर-1: डिफेंडिंग चैंपियन, पिछले टूर्नामेंट के 8 खिलाड़ी इस बार भी खेलेंगे

इंग्लैंड टीम 2019 की वर्ल्ड चैंपियन है। टीम ने अपनी ही मेजबानी में लंदन के लॉर्ड्स स्टेडियम में खिताब जीता था। इंग्लैंड ने तब से अब तक 52% से ज्यादा वनडे मुकाबले जीते हैं। 2019 वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द फाइनल रहे बेन स्टोक्स भी रिटायरमेंट के बाद वापसी कर चुके हैं। उस वर्ल्ड कप के 8 खिलाड़ी इस बार भी टीम का हिस्सा हैं।

फैक्टर-2: रन रेट में अव्वल, 2016 से 4 बार 400+ स्कोर बनाए

2016 में अपना बैटिंग अप्रोच बदलने के बाद इंग्लैंड का रन रेट दुनियाभर में बेस्ट रहा। टीम ने 6.25 रन प्रति ओवर के हिसाब से वनडे में स्कोर किया। बाकी टीमें 6 रन प्रति ओवर का रन रेट भी मेंटेन नहीं कर सकीं। 5.88 के रन रेट के साथ टीम इंडिया दूसरे नंबर पर रही।