आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : सचिन, धोनी, कोहली के बल्ले से किया कमाल हो या फिर जहीर-कुंबले की शानदार गेंदबाजी हो। जब भी वर्ल्ड कप आता है…तब-तब हमारे मन में इनके शानदार खेल की यादें जिंदा हो जाती हैं। ये खिलाड़ी वर्ल्ड कप के वो सितारे हैं, जिन्हें उनके फैंस हमेशा 22 गज की पिच पर चमकते हुए देखना चाहते हैं।

दैनिक भास्कर की खास सीरीज इंडिया का वर्ल्ड कप कनेक्शन में हमारे साथ हैं एक्सपर्ट अयाज मेमन, जो आज बताएंगे वर्ल्ड कप मुकाबलों में इन्हीं हीरोज के रोल के बारे में…

सवाल: वर्ल्ड कप मुकाबलों में ये हीरोज क्या रोल निभाते हैं?

अयाज मेमन: अगर एक टीम जीतती है तो उसमें सभी खिलाड़ी हीरो बनते हैं, जैसे 1983 और 2011 वर्ल्ड कप के बाद भारतीय टीम के कई खिलाड़ी हीरो बने। मोहिंदर अमरनाथ और यशपाल शर्मा जैसे खिलाड़ियों का बैट और बॉल से प्रदर्शन यादगार बन गया। जब कपिल देव ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 रन बनाए तो उसमें 126 रन की पार्टनरशिप हुई और इसमें केवल 26 रन सैय्यद किरमानी ने बनाए। ये कपिल देव की यादगार पारियों में से एक रही है, अगर वो 26 रन भी नहीं होते तो ना कपिल देव की सेंचुरी बनती, ना ही भारत वह मैच जीतता।

सवाल: वर्ल्ड कप के ऐसे और भी कई सारे हीरो हैं, इनमें से एक सबसे बड़ा नाम है युवराज सिंह।

अयाज मेमन: 2007 टी20 वर्ल्ड कप से सुपरस्टार बनकर निकले और 2011 के वर्ल्ड कप स्क्वॉड में चुने गए। लेकिन जब टीम की घोषणा हो रही थी तो उसमें सबसे आखिरी नाम युवराज सिंह का था। रोहित की जगह युवराज सिंह को टीम में लिया गया, क्योंकि वो गेंदबाजी भी कर लेते थे। टीम चुने जाने से पहले अगर सिलेक्टर्स को ये पता होता कि युवराज सिंह को कैंसर की बीमारी है तो शायद उनका चुना जाना भी मुश्किल था। लेकिन बीमारी के बावजूद भी उन्होंने ऑल राउंड प्रदर्शन किया और मैन ऑफ द टूर्नामेंट बने। युवराज के आने से धोनी को कई विकल्प मिल गए। जैसे सचिन, सहवाग के साथ अब युवराज में भी वो गेंदबाजी का विकल्प देख सकते थे। इसलिए लगता है कि युवराज सिंह अगर टीम में न होते तो शायद जीतना इतना आसान नहीं होता।

सवाल: सहवाग ने 2011 वर्ल्ड कप के पहले ही मैच में बांग्लादेश के खिलाफ 175 रनों की पारी खेली और फिर लगातार पांच मैचों में पहली गेंद पर चौका लगाकर पारी की शुरुआत की तो ऐसे खिलाड़ी के बारे में बताइए।

अयाज मेमन: एक शब्द में कहें तो जीनियस। ये ऐसे प्लेयर थे जो विरोधी खेमे के बॉलर्स में भय डाल देते थे, वसीम अकरम हों, या ग्लेन मैक्ग्रा, ये किसी गेंद पर भी शॉट खेलने का दम रखते थे। सहवाग का एक अनोखा अंदाज ये था कि अगर शतक के करीब भी हैं तो छक्का या चौका मार कर शतक पूरा करने का सोचते थे। 2009-10 में मुरलीधरन से बात करने पर उन्होंने सहवाग को लेकर एक किस्सा सुनाया था कि जब स्पिनर्स की पिच होने के बावजूद भी सहवाग मुरलीधरन की गेंद पर लगातार शॉट लगा रहे थे। आखिरकार मुरलीधरन को एक तरह से सफेद झंडा दिखाना पड़ा था।

सवाल: इन हीरोज में एक गेंदबाज भी रहा है, जहीर खान…….

अयाज मेमन: जहीर खान की सबसे खास बात ये है कि वो लगातार तीन वर्ल्ड कप में तीन अलग-अलग कंडीशन होने के बावजूद भी सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। भारत के एक मशहूर अंपायर पीलू रिपोर्टर से बातचीत पर उन्होंने बताया था कि बड़े गेंदबाजों की खासियत होती है कि उनका रनअप बिल्कुल निर्धारित और गेंद की मूवमेंट भी एकदम सटीक होता है।