सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के नेतृत्व में, ‘वर्ल्ड एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक’ (WAAW) का आयोजन किया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य एंटीबायोटिक के सही उपयोग और एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) के खतरों के बारे में लोगों को जागरूक करना है।
इसके अंतर्गत “गो ब्लू” अभियान के तहत एम्स भोपाल के अस्पताल और प्रशासनिक भवनों को नीली रोशनी से रोशन किया जाएगा, ताकि एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। ‘गो ब्लू’, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा शुरू किया गया अभियान है।
इस अवसर पर निदेशक सिंह ने कहा कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है, और इसे सामूहिक प्रयासों से ही कम किया जा सकता है। एम्स भोपाल जागरूकता बढ़ाने, स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करने और एंटीबायोटिक के सही उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। इस हफ्ते, एम्स भोपाल स्वास्थ्यकर्मियों और आम जनता को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
छात्रों, शोधकर्ताओं, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए विशेष शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि वे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस और इसके समाधान को बेहतर तरीके से समझ सकें। मरीजों, उनके परिजनों और आम जनता के लिए अस्पताल के विभिन्न क्षेत्रों में नुक्कड़ नाटक, स्किट और शॉर्ट वीडियो संदेशों के जरिए जागरूकता बढ़ाई जा रही है।
वास्तव में, एम्स भोपाल मध्य भारत का एकमात्र संस्थान है जो नियमित रूप से अपनी वेबसाइट पर एंटीबायोग्राम्स को अपडेट करता है। ये एंटीबायोग्राम्स छोटे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को सही एंटीबायोटिक का चयन करने में मदद करते हैं। एम्स भोपाल ने ‘एमपी स्टेट एक्शन प्लान’ और ‘वन स्टेट-वन हेल्थ पॉलिसी’ तैयार करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एम्स भोपाल का यह अभियान जनता को जागरूक करने, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने और एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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