लखनऊ । राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा है कि जब हम नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं तो जरूरी है की बेटियों की सुरक्षा और उनको शिक्षा के समान अवसर प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सभी सैनिक स्कूलों में बालिकाओं के प्रवेश की घोषणा की, लेकिन लखनऊ के कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल में बालिकाओं को तीन वर्ष पहले ही प्रवेश की शुरुआत हो चुकी है। यह बहुत ही सराहनीय है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह देश का पहला सैनिक स्कूल बनेगा जहां की बेटियां इस साल एनडीए की परीक्षा में बैठेंगी। यह स्कूल वीरों के साथ अब भारतीय सेना को एनडीए के माध्यम से वीरांगनाएं भी देगा।
अपने उप्र दौरे के दूसरे दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द शुक्रवार को यहां मनोज पाण्डेय उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल की हीरक जयंती कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सैनिक छात्र-छात्राओं को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि डॉ. संपूर्णानंद देश के पहले मुख्यमंत्री हुए जिन्होंने सैनिक स्कूल की स्थापना के बारे में सोचा। उन्होंने इसका अनुभव किया होगा कि अच्छी दिशा में सफलतापूर्वक प्रशासन चलाने के लिए अनुशासित नागरिक जरूरी है। जब तक हमारा नागरिक अनुशासित नहीं होगा तब तक देश को आगे नहीं ले जाया जा सकता है। सैनिक स्कूल देश को शिक्षित व अनुशासित नागरिक देता है। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि जब सैनिक भावना के साथ खिलाड़ी मैदान पर उतरता है तो मेजर ध्यान चंद, फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह और नीरज चोपड़ा इतिहास बनाते हैं।
इससे पहले राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल की स्थापना के हीरक जयंती वर्ष के समापन समारोह में स्कूल की क्षमता को 450 से बढ़ाकर 900 छात्र करने के लिए बालक व बालिका छात्रावास के निर्माण का शिलान्यास किया। इसके साथ ही एक हजार की क्षमता वाले डॉ. संपूर्णानंद सभागार का लोकार्पण व डॉ. संपूर्णानंद की प्रतिमा का अनावरण किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि लखनऊ के कैप्टन मनोज पाण्डेय सैनिक स्कूल ने एक आयाम स्थापित किया है। यह स्कूल दिन पर दिन कई मायने में प्रतिमान गढ़ रहा है। इस विद्यालय के संस्थापक पूर्व मुख्यमंत्री स्व.सम्पूर्णानन्द ने 1960 के कालखंड में इसकी परिकल्पना की थी कि सैनिक स्कूल होने चाहिए। इसके बाद भी देश को 1962 में युद्ध में उतरना पड़ा। उस समय उस राजनेता ने ही दूरदर्शीता से इसे भांप लिया था कि देश को इसकी जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि यह सैनिक स्कूल पहला सैनिक स्कूल है जिसने 2018 में तय किया था कि इसमें हम बालिकाओं के प्रवेश को अनिवार्य करेंगे। जिससे आधी आबादी अपने आप को उपेक्षित महसूस न करे। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने संकल्प लिया कि देश को सैनिक स्कूलों की आवश्यकता है। सिर्फ सेना ही नही देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी हम कुशल सैनिक तैयार कर देश को दे सकें।