सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल:  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का सफर वकालत से राजनीति तक बेहद रोचक और प्रभावशाली रहा है। झुंझुनूं के किठाना गांव में जन्मे धनखड़ ने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल और जयपुर के महाराजा कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। जयपुर में वकालत की शुरुआत करने वाले धनखड़ ने अपनी धाराप्रवाह हिंदी और अंग्रेजी के चलते जल्द ही बड़े वकीलों में पहचान बना ली।

RSS और राजनीतिक सफर की शुरुआत

धनखड़ का बचपन RSS से नहीं जुड़ा था। जयपुर में उनके साले प्रवीण बलवदा के माध्यम से उनका संघ से जुड़ाव हुआ। 1988 में जनता दल से झुंझुनूं से सांसद बनने के बाद उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्री का पद संभाला। बाद में, कांग्रेस और फिर बीजेपी में शामिल होकर अपने राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाया।

कानूनी संकट मोचक की भूमिका

धनखड़ ने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में पर्दे के पीछे रहकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2007 में मालेगांव और अजमेर दरगाह बम ब्लास्ट केस में RSS-BJP को कानूनी सहयोग दिया। रामजन्म भूमि मामले में भी उन्होंने लीगल टीम को इनपुट देकर संगठन को मजबूत किया।

सलमान खान केस और हाई प्रोफाइल मुकदमे

1998 में काले हिरण शिकार मामले में सलमान खान की जमानत दिलाने के लिए धनखड़ चर्चा में आए। उन्होंने जोधपुर हाईकोर्ट में सलमान के वकील के तौर पर केस लड़ा और सफलता पाई।

उपराष्ट्रपति पद पर पहुंचने का सफर

2022 में उपराष्ट्रपति पद के लिए उनके नाम का चयन RSS की सक्रियता का परिणाम माना गया। झुंझुनूं में संघ की बैठक के एक हफ्ते बाद धनखड़ को उम्मीदवार घोषित किया गया।

RSS से करीबी संबंध

धनखड़ के पैतृक गांव किठाना में RSS के पदाधिकारियों के स्वागत के दौरान उनकी पत्नी सुदेश धनखड़ ने स्वयं खाना बनाया। यह संबंध उनकी विचारधारा और संघ के साथ गहरी जुड़ाव को दर्शाता है।

धनखड़ का जीवन उनकी राजनीतिक और कानूनी सफलता के साथ-साथ उनके संगठनात्मक कौशल का परिचायक है, जिसने उन्हें देश की शीर्ष भूमिका में पहुंचाया।

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