सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हो रही है।

दरअसल, VVPAT पर्चियों की 100% वेरिफिकेशन को लेकर एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल ने अगस्त 2023 में याचिका लगाई गई थी। याचिका में कहा गया कि वोटर्स को VVPAT की पर्ची फिजिकली वेरिफाई करने का मौका दिया जाना चाहिए। वोटर्स को खुद बैलेट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए। इससे चुनाव में गड़बड़ी की आशंका खत्म हो जाएगी।

याचिकाकर्ता की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल एस और संजय हेगड़े ने पैरवी की।

कोर्ट रूम लाइव…

एडवोकेट प्रशांत भूषण- EVM चिप को प्रोग्राम किया जा सकता है। ज्यादातर यूरोपियन देश EVM से बैलट पेपर्स पर लौटे हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना- वहां मत जाइए।

प्रशांत भूषण- इस पर कोई विवाद नहीं है, यह फैक्ट है।

सुप्रीम कोर्ट- कानूनी जिरह तक ही सीमित रहिए और याद रखिए कि यह मुद्दा पहले लाना चाहिए था।

प्रशांत भूषण- अगर ईवीएम वीवीपैट की गिनती और वोटर्स के टोटल नंबर में कोई अंतर हुआ तो इसे नजरअंदाज किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट- अपने पॉइंट्स लिखित में दीजिएगा 2 बजे।

2 बजे के बाद फिर सुनवाई हुई…

सुप्रीम कोर्ट- आप क्या राहत चाहते हैं।

प्रशांत भूषण- हम पेपर बैलट पर लौट सकते हैं। एक और ऑप्शन है कि वोटर्स को वीवीपैट की स्लिप दे दी जाए। नहीं तो स्लिप मशीन में जाएगी और ये स्लिप वोटर को दी जा सकती है और इसे बैलट बॉक्स में डाला जा सकता है।

जस्टिस खन्ना- हम आपकी दलील समझ गए।

प्रशांत भूषण- वीवीपैट की स्लिप को भी काउंट किया जाना चाहिए। वोटर के हाथ में स्लिप दीजिए और इसे बैलट बॉक्स में डाला जाए। इसका डिजाइन बदल दिया जाए। जर्मनी में ऐसा ही होता है।

जस्टिस दीपांकर दत्ता- जर्मनी की जनसंख्या कितनी है।

प्रशांत भूषण- 5-6 करोड़। भारत में 50-60 करोड़ है।

जस्टिस खन्ना- भारत में 97 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर हैं। हम सभी जानते हैं कि जब बैलट पेपर्स थे। आप भूल गए होंगे, हम नहीं भूले हैं। खैर हम तीनों समधानों को सुनेंगे। हम अभी इस पर बहस नहीं चाहते हैं।

वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े- ईवीएम में पड़े वोट्स का वीवीपैट स्लिप्स के साथ मिलान किया जाना चाहिए।

जस्टिस खन्ना- आप कह रहे हैं कि 60 करोड़ वीवीपैट स्लिप्स की गिनती की जाए। यही ना?

वरिष्ठ वकील गोपाल एस- चुनाव आयोग कहता है कि वीवीपैट स्लिप्स की गिनती करने में 12 दिन लगेंगे।