रोम । ईसाई समुदाय के शीर्ष धर्म गुरु पोप फ्रांसिस ने क्रिसमस के अवसर पर शनिवार को कोरोना वायरस के खात्मे की प्रार्थना की। पोप ने सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल, गरीबों के लिए टीका और दुनिया में चल रहे टकरावों के समाधान के लिए वार्ता का आग्रह किया। इटली में इस हफ्ते कोविड-19 के मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के बीच, फ्रांसिस के क्रिसमिस के मौके पर होने वाले वार्षिक ‘उरबी एट ओरबी’ (शहर और दुनिया के लिए) संबोधन के लिए सेंट पीटर स्क्वायर पर चंद हजार लोग ही जुटे। आमतौर पर हज़ारों लोगों की भीड़ उन्हें सुनने आती थी। पिछले साल क्रिसमस के मौके पर इटली में लॉकडाउन लगा हुआ था। इस वजह से फ्रांसिस को अपना संबोधन टीवी के माध्यम से देना पड़ा था।
बहरहाल, इस हफ्ते इटली में एक दिन में 50,000 से ज्यादा मामले आए थे। सरकार ने अबतक लॉकडाउन लगाने के आदेश नहीं दिए हैं। पोप ने क्रिसमस के दिन दिए जाने वाले अपने संबोधन के जरिए दुनिया के छोटे-बड़े टकरावों की ओर विश्व का ध्यान दिलाया। फ्रांसिस ने सीरिया, यमन और इराक में चल रहे संघर्ष पर तथा यूक्रेन और इथोपिया पर उपजे नए तनाव तथा लेबनान में ‘अप्रत्याशित संकट’ पर दुख जताया। उन्होंने कहा, ‘म इन संघर्षों के इतने आदि हो गए हैं कि इतनी त्रादसी के होने के बावजूद, इसपर कोई बात नहीं की जाती है। हम अपने इतने सारे भाइयों और बहनों के दर्द और संकट को सुनने का जोखिम नहीं उठाते हैं।’
फ्रांसिस ने महामारी के वापस आने और पृथक करने की प्रवृत्ति को लेकर चेताया और आग्रह किया कि दुनिया को टकराव के हल की कोशिश बातचीत के जरिए करनी चाहिए। उन्होंने खासकर वायरस से प्रभावित लोगों के लिए प्रार्थना की जिनमें महिलाएं एवं बच्चे शामिल हैं जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान उत्पीड़न का सामना किया। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ी है और कि दंबगई और दुर्व्यवहार से पीड़ित बच्चों और किशोरों के लिए उम्मीद व्यक्त की। पोप ने अकेले रहने वाले बुजुर्गों के साथ-साथ स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भी प्रार्थना की जो बीमारों की देखभाल के लिए खुद को समर्पित करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘दुर्बलों को स्वास्थ्य मिले और सभी पुरुषों और महिलाओं को मौजूदा स्वास्थ्य संकट और उसके प्रभावों को दूर करने के सर्वोत्तम तरीकों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया जाए।’ पोप ने कहा, ‘जरूरी चिकित्सकीय देखभाल सुनिश्चित करने के लिए दिलों को खोलें, खासकर, टीके के लिए और यह उन्हें दें जिसकी इसे सबसे ज्यादा जरूरत है।’ फ्रांस ने ‘मिडनाइट मास’ (आधी रात की प्रार्थना सभा) के बाद अपना भाषण दिया। प्रार्थना सभा में करीब 2,000 लोग उपस्थित रहे। सेंट पीटर्स की क्षमता के मुकाबले यह संख्या बहुत कम है। प्रार्थना स्थानीय समयनुसार शाम साढ़े सात बजे शुरू हुई।