13 जून 2025 को अहमदाबाद हवाई अड्डे से टेक-ऑफ के तुरंत बाद एयर इंडिया के बोइंग 787–8 विमान के दुर्घटनावश गिरने की घटना ने न केवल 241 निर्दोष यात्रियों और चालक दल को खोने का दुख दिया, बल्कि भारतीय विमानन सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, तकनीकी खराबी और आपात प्रतिक्रिया के क्रमिक विलंब ने इस त्रासदी को और भयावह बना दिया।
यह हादसा हमें याद दिलाता है कि नियमित रखरखाव, सख्त गुणवत्ता परीक्षण और विमान प्रोटोकॉल के यथार्थ अनुपालन को सिर्फ कागजी प्रक्रिया नहीं, बल्कि ज़रूरी जीवन-रक्षक उपाय के रूप में अपनाना होगा। प्रारंभिक जांच में काले बॉक्स से मिली जानकारी ने स्पष्ट किया कि संभावित यांत्रिक दोषों को समय रहते ठीक नहीं किया गया था, जबकि आपातकालीन सेवाओं की तैयारी और त्वरित समन्वय में भी खामियां आईं।
सरकार और नियामक संस्थाओं के लिए अब दोहरी जिम्मेदारी बनती है: एक, मौजूदा मानकों की पारदर्शी समीक्षा और आवश्यक संशोधन करना; दो, पायलटों, तकनीकी कर्मचारियों और आपात दलों का निरंतर, कठोर प्रशिक्षण सुनिश्चित करना। इमरजेंसी ड्रिल और शमन-प्रबंधन को भी नियमित आधार पर जाँचना होगा ताकि भविष्य में किसी संकट के वक्त एक-एक सेकंड कीमती साबित हो।
यह दुर्घटना कार्रवाई की कसौटी बनकर उभरी है। इसे केवल हादसा बताकर भूल जाना आसान है, लेकिन जिम्मेदार संस्थाओं को विस्तार से सीख लेकर तेज़ सुधार लाना होगा—तभी भारतीय आसमान की सुरक्षा पर व्यापक भरोसा कायम रहेगा।
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