सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के मुख्य आतिथ्य में विक्रम संवत 2082 के शुभारंभ पर विक्रमोत्सव 2025 अंतर्गत “वर्ष प्रतिपदा’’ नव संवत्सर कार्यक्रम का आयोजन रविवार को सुभाष उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित किया गया। मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग मंत्रालय भोपाल के निर्देशानुसार विक्रम संवत् 2082 के शुभारंभ के अवसर पर सूर्य उपासना,ध्वज वंदना एवं नाट्य प्रस्तुति सम्राट विक्रमादित्य का भव्य आयोजन भी में किया गया।
इस अवसर पर खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा, महापौर मालती राय, नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी, रविंद्र यति, कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह, नगर निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण सहित जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित रहे। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने विक्रम संवत और भारतीय संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि विक्रम संवत न केवल भारत की गौरवशाली कालगणना प्रणाली है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान और सभ्यता का प्रतीक भी है। यह कोई आयातित परंपरा नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित वह संवत है, जो प्रकृति, ऋतुचक्र और खगोलीय घटनाओं के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। इस संवत के माध्यम से हम अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहते हैं और यही हमें दुनिया से अलग और विशेष बनाता है।उप मुख्यमंत्री देवड़ा ने आगे कहा कि विक्रम संवत वास्तव में हमारा अपना नववर्ष है, जो केवल तिथि या दिन विशेष नहीं, बल्कि जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। यह समय होता है आत्ममंथन का, नवनिर्माण का और एक बार फिर से प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर आगे बढ़ने का।
उप मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आज समय की आवश्यकता है कि हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों को आत्मसात करते हुए उन्हें आधुनिकता के साथ जोड़ें और विक्रम संवत जैसे उत्सवों को राष्ट्रीय गर्व का विषय बनाएं।
खजुराहो सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा ने अपने उद्बोधन में विक्रम संवत और सम्राट विक्रमादित्य के ऐतिहासिक योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि सम्राट विक्रमादित्य एक शक्तिशाली शासक के साथ एक युग निर्माता, विचारक, न्यायप्रिय शासक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के अग्रदूत थे। उनका शासन काल न केवल राजनीतिक दृष्टि से स्वर्णिम था, बल्कि उस कालखंड में ज्ञान, साहित्य, कला, विज्ञान और संस्कृति का अभूतपूर्व विकास हुआ।
उन्होंने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने एक ऐसी कालगणना की नींव भी रखी जो आज भी समय की सटीकता और वैज्ञानिकता का उदाहरण मानी जाती है — वही विक्रम संवत। यह संवत केवल तिथियों का क्रम नहीं, बल्कि भारतीय जीवनशैली, ऋतुचक्र और सनातन परंपराओं का प्रतीक है।
कार्यक्रम में ध्वज वंदना के साथ सम्राट विक्रमादित्य के जीवन पर आधारित मनोहारी नाट्य प्रस्तुति दी गई। साथ ही महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा प्रकाशित पुस्तिका “भारत का नववर्ष – विक्रम संवत” का वितरण भी किया गया।
#विक्रमोत्सव2025 #नवसंवत्सर #वर्षप्रतिपदा #संस्कृतिकायोजन #SamvatsarCelebration