सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: तेलुगु सिनेमा के स्टार वरुण तेज फिल्म ‘मटका’ के जरिए एक बार फिर हिंदी दर्शकों के बीच आ रहे हैं। इससे पहले वो फिल्म ‘ऑपरेशन वैलेंटाइन’ में नजर आ चुके हैं। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान एक्टर ने बताया कि उनके पिता ने कभी भी उनके लिए फिल्म प्रोड्यूस नहीं की। उन्होंने यह भी बताया कि तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में मैनेजर और टैलेंट एजेंसी का चलन नहीं है।
बता दें कि वरुण तेज के पिता नागेंद्र बाबू तेलुगु सिनेमा के बहुत बड़े प्रोड्यूसर हैं। चिरंजीवी और पवन कल्याण उनके चाचा लगते हैं। राम चरण, अल्लू अर्जुन, अल्लू सिरीश, साईं तेज और पंजा वैष्णव तेज उनके चचेरे भाई हैं। इतने बड़े फिल्मी परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद वरुण तेज ने इंडस्ट्री में अपनी पहचान अपने दम पर बनाई है। पेश है वरुण तेज से हुई बातचीत के कुछ खास अंश…
फिल्म ‘मटका’ के बारे में बताएं?
यह फिल्म 1970 के दशक के मशहूर मटका किंग रतन खत्री के जीवन से प्रेरित है। वह किस तरह से बर्मा से रिफ्यूजी बनकर भारत 1960 में आया था। यहां आकार वह कैसे मटका किंग बना। इसमें उनकी 20 साल से 60 साल की पूरी जर्नी को दिखाया गया है। यह फिल्म 14 नवंबर 2024 को हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम भाषा में एक साथ रिलीज हो रही है।
रियल किरदार को निभाना कितना चुनौतीपूर्ण होता है?
यह मटका किंग रतन खत्री के जीवन से प्रेरित जरूर है, लेकिन इसमें मैं वासु का काल्पनिक किरदार निभा रहा हूं। फिल्म के डायरेक्टर करुणा कुमार ने बहुत सारे रिसर्च किए हैं। रतन खत्री की कहानी को हमने एक नए अंदाज में पेश किया है। किरदार को समझने के लिए हमने डायरेक्टर के साथ वर्कशॉप किए। इसमें आपको मुझमें अमिताभ बच्चन, कमल हासन और मार्लन ब्रैंडो की झलक दिखेगी।
1970 के दशक की कौन सी फिल्में आपको अच्छी लगती हैं?
मैंने 80 के दशक की फिल्में देखनी शुरू की। शुरुआत में मैंने बहुत सारी तेलुगु फिल्में देखी हैं। मेरी सबसे पसंदीदा हॉलीवुड की फिल्म ‘द गॉडफादर’ है। मार्लन ब्रैंडो बहुत ही कमाल के एक्टर हैं। उनके अलावा इस फिल्म में अल पचीनो ने भी काम किया था। उनकी बहुत सारी फिल्में मुझे पसंद हैं। हिंदी में सबसे पहले मैंने संजय दत्त की फिल्म ‘वास्तव’ देखी थी।
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