सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्य प्रदेश के सागर में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में एक बार फिर से राज्य की राजनीति में वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा और अंदरूनी खींचतान की तस्वीर साफ तौर पर सामने आई। इस कार्यक्रम में प्रदेश के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को जिस तरह से मंच पर पीछे बैठाया गया, उससे दोनों नेताओं में आक्रोश साफ झलकने लगा। इसका परिणाम यह रहा कि कार्यक्रम के बीच में ही वे मंच छोड़कर चले गए। यह घटना राजनीति के गलियारों में चर्चा का प्रमुख विषय बनी हुई है।
घटना का विवरण: इस कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री मोहन यादव और कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल थे, लेकिन गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को सबसे पीछे बैठाने से उनके समर्थकों और स्वयं नेताओं के बीच असंतोष फैल गया। कभी पार्टी के प्रमुख नेता माने जाने वाले इन दोनों नेताओं को मंच पर सबसे पीछे बैठने के लिए मजबूर किया गया। इसके विपरीत, उनसे जूनियर विधायकों को सम्मानजनक स्थान मिला, जो स्पष्ट रूप से दिखाता है कि राजनीति में एक नई लहर चल रही है, जिसमें पुराने नेताओं को किनारे किया जा रहा है।
पृष्ठभूमि: इस घटना की कड़ियां 2016 के सिंहस्थ महाकुंभ के दौरान उज्जैन में हुए भूमि विवाद से जुड़ी हुई मानी जाती हैं। उस समय, तत्कालीन विधायक मोहन यादव को मंत्री भूपेंद्र सिंह से मिलने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा था, जिससे उनके बीच राजनीतिक तनाव की शुरुआत हुई। इसके अलावा, सिंहस्थ भूमि विवाद में मोहन यादव और उनके परिवार के हितों की बात भी सामने आई थी, जिसने इन दोनों नेताओं के बीच कटुता को और बढ़ा दिया।
विवाद का विस्तार: सिंहस्थ भूमि को आवासीय क्षेत्र में बदलने का विवाद भी दोनों नेताओं के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण रहा। भूपेंद्र सिंह ने इन बदलावों का विरोध किया था, जबकि मोहन यादव के परिवार के हित इस मामले से जुड़े थे। इस विवाद के बाद से दोनों नेताओं के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं, और यह तनाव सागर इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में भी साफ दिखा, जब दोनों नेताओं को मंच पर उचित स्थान नहीं दिया गया।
सीनियर नेताओं की उपेक्षा: कॉन्क्लेव में गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को पीछे बैठाने का मामला उनके समर्थकों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। यह माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के समर्थकों ने जानबूझकर इन दोनों वरिष्ठ नेताओं को मंच से दूर रखा। हालांकि मुख्यमंत्री ने बाद में उन्हें आगे बुलाने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास दोनों नेताओं की नाराजगी को शांत करने में विफल रहा। दीप प्रज्ज्वलन और सम्मान पत्र वितरण के समय उन्हें आगे बुलाया गया, लेकिन तब तक उनका अपमान का अनुभव गहरा हो चुका था।
राजनीतिक प्रभाव: इस घटना का राजनीतिक प्रभाव क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि राज्य की राजनीति में अब बदलाव की बयार चल रही है। पुराने और अनुभवी नेताओं की उपेक्षा और नए नेताओं का उभार, राजनीति के इस नए दौर की ओर संकेत करता है। दोनों नेता, जो कभी एक-दूसरे के विरोधी माने जाते थे, एक ही गाड़ी में रवाना हुए, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह घटना उनके बीच की अदावत को कुछ हद तक कम कर सकती है।
निष्कर्ष: सागर इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह की उपेक्षा मध्य प्रदेश की राजनीति में बदलते समीकरणों की ओर संकेत करती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इन दोनों वरिष्ठ नेताओं की भूमिका क्या होगी और इस घटना के बाद उनकी राजनीतिक यात्रा किस दिशा में जाएगी।