सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : राष्ट्रीय विष्णु खरे कविता सम्मान समारोह का भव्य आयोजन वनमाली सभागार, स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय, भोपाल परिसर में गरिमामय रूप से आयोजित किया गया। इस अवसर पर कला, साहित्य एवं संस्कृति के लिये समर्पित वनमाली सृजनपीठ द्वारा वनमाली के शिष्य एवं प्रखर कवि, आलोचक, अनुवादक, पत्रकार विष्णु खरे की स्मृति में राष्ट्रीय कविता सम्मान से चार अलग-अलग श्रेणियों में रचनाकारों को सम्मानित किया गया। विष्णु खरे आलोचना सम्मान से वरिष्ठ आलोचक, कवि, अनुवादक नंदकिशोर आचार्य (बीकानेर), विष्णु खरे अनुवाद सम्मान से वरिष्ठ अनुवादक ए. अरविंदाक्षन (केरल), विष्णु खरे कविता सम्मान से सुप्रसिद्ध साहित्यकार, कवि, अनुवादक एवं आलोचक लीलाधर मंडलोई (नई दिल्ली) तथा विष्णु खरे युवा कविता सम्मान से युवा कवियत्री पार्वती तिर्की (झारखंड) को सम्मानित किया गया।
सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए ख्यात रचनाकार राधावल्लभ त्रिपाठी ने कहा कि साहित्य केवल शब्दों का संयोजन नहीं, बल्कि यह समाज का दर्पण और दिशा-सूचक होता है। वनमाली कथा समय और राष्ट्रीय विष्णु खरे कविता सम्मान जैसे आयोजनों की महत्ता इस बात में निहित है कि वे साहित्यकारों और विचारकों को एक मंच पर लाकर समकालीन समाज, उसकी चुनौतियों और संभावनाओं पर सार्थक विमर्श की प्रेरणा देते हैं। आज सम्मानित होने वाले सभी रचनाकारों ने भी अपनी लेखनी से समाज की संवेदनाओं को स्वर दिया है। इनका लेखन न केवल साहित्य को समृद्ध करता है, बल्कि हमारे समय की जटिलताओं को भी उजागर करता है। आज के समय में, जब साहित्य को हाशिए पर धकेलने की कोशिशें हो रही हैं, ऐसे आयोजन यह संदेश देते हैं कि साहित्य की भूमिका सदैव केंद्रीय रही है और रहेगी। यह मंच केवल सम्मान का अवसर नहीं, बल्कि विचारों के आदान-प्रदान और साहित्य की निरंतरता को बनाए रखने का भी माध्यम है। हमें विश्वास है कि यहाँ की गई चर्चाएँ और संवाद आने वाले समय में साहित्य और समाज दोनों को नई दिशा प्रदान करेंगे।”
इस अवसर पर स्वागत वक्तव्य में निदेशक संतोष चौबे ने कहा “वनमाली कथा समय और राष्ट्रीय विष्णु खरे कविता सम्मान केवल सम्मान देने का मंच नहीं, बल्कि यह एक वैचारिक संगोष्ठी है, जहाँ साहित्यकारों की बहुआयामी दृष्टि हमारे समय के सबसे जटिल सवालों से टकराती है। भाषा, साहित्य और समाज के बदलते परिदृश्य में ऐसे मंचों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। हम उन सभी रचनाकारों को बधाई देते हैं, जिनका सम्मान किया जा रहा है और हमें विश्वास है कि उनकी रचनाएँ आने वाले समय में साहित्य को और समृद्ध करेंगी।”
वहीं मुख्य वक्ता ममता कालिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि “साहित्य केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज की चेतना को जागृत करने का सशक्त उपकरण भी है। विष्णु खरे की कविताएँ सत्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और समाज में व्याप्त विडंबनाओं के प्रति उनकी निर्भीक अभिव्यक्ति का प्रतीक हैं। यह सम्मान उन रचनाकारों को समर्पित है जो अपनी लेखनी से सामाजिक सरोकारों को मजबूती से उठाते हैं। साहित्य का यह मंच नई और पुरानी पीढ़ी के बीच संवाद स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।”
इसके अतिरिक्त बीज वक्तव्य नीलेश रघुवंशी ने दिया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि “कविता केवल शब्दों का खेल नहीं है, यह एक जीवनदृष्टि है। विष्णु खरे का लेखन हमें यह सिखाता है कि साहित्यकार का कर्तव्य सिर्फ सौंदर्य की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि अन्याय के विरुद्ध प्रतिरोध दर्ज कराना भी है। आज जब साहित्य के स्वरूप को सीमित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, तब इस तरह के आयोजन कविता के खुले आकाश को और विस्तृत करने का कार्य कर रहे हैं। हमें अपनी भाषाई और सांस्कृतिक विरासत को संजोने के साथ-साथ उसे नए सन्दर्भों में विकसित भी करना होगा।”
विष्णु खरे आलोचना सम्मान से सम्मानित रचनाकार नंदकिशोर आचार्य, विश्व खरे अनुवाद सम्मान से सम्मानित ए. अरविंदाक्षन, विश्व खरे कविता सम्मान से सम्मानित लीलाधर मंडलोई एवं विष्णु खरे युवा कविता सम्मान से सम्मानित पार्वती तिर्की ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय वनमाली सृजनपीठ द्वारा ‘वनमाली कथा सम्मान’ की ही भाँति ‘विष्णु खरे कविता सम्मान’ लोकतान्त्रिक एवं मानवीय मूल्यों का संधान कर साहित्य में उसकी पुनः प्रतिष्ठा करने एवं उसे समुचित महत्त्व प्रदान करने वाले रचनाकारों को प्रदान किया गया।
“राष्ट्रीय विष्णु खरे सम्मान समारोह का संचालन टैगोर विश्व कला और संस्कृति केन्द्र के निदेशक विनय उपाध्याय द्वारा किया गया।उल्लेखनीय है कि ‘अंर्तराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर “विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलम्पियाड –2025 ” का पोस्टर का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया गया।
कविता समय :
कविता समय में कविता पाठ का आयोजन वरिष्ठ कवि संतोष चौबे की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस अवसर पर संतोष चौबे ने अपनी लोकप्रिय कविता सुईं, मेरे अच्छे आदिवासियों, प्रेमिका को दी हुई किताब, धरम-करम और छोड़ो यार का पाठ किया।
कवि जितेन्द्र श्रीवास्तव ने मानुष राग, प्रेम का विलाप, ओ मेरे देश, प्राथमिकता का व्याकरण आदि कविता सुनाई।
कवि बलराम गुमास्ता ने सूचना, शादी की चालीसवीं सालगिरह, उस आदमी के बारे में, खुदीराम बोस की अंतिम यात्रा का वर्णन कविता का पाठ किया।वरिष्ठ कवि एवं उपन्यासकार नीलेश रघुवंशी ने मेरी सहेलियाँ, एक चीज कम, आधी जगह, सुंदरियों, हाई दईया कविता का पाठ किया।कवि निरंजन श्रोत्रिय ने मुझे पसंद है, सौंदर्य, समानुपात, परीक्षा, वॉट्सऐप संदेश, फार्मूला, अंतर बताओं आदि कविता सुनाई।
कवि रामकुमार तिवारी ने जगहें घिरी है, किसने सोचा था, सच्चाई छुपाते हैं, हूबहू कविताओं का पाठ किया।कवि महेश वर्मा ने पंख, जलने का गीत, यकीन, गुड्डन के नाम चिट्ठी कविता सुनाई। कवि वाजदा खान ने मुहावरे, चाहत वर्जनाएं हैं, चाँद कविता का पाठ किया। कविता गोष्ठी का संचालन युवा कथाकार एवं वनमाली कथा पत्रिका के संपादक कुणाल सिंह द्वारा किया।
सम्मानित रचनाकारों का कविता पाठ :
सम्मान समारोह के अवसर पर सम्मानित रचनाकारों का कविता पाठ वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राधावल्लभ त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। नंदकिशोर आचार्य ने बुरा तो नहीं मानोगे, पत्थर क्या नींद से भी ज्यादा पारदर्शी होता है, देवता कैसे रहेंगे, आखरी प्रेम, मैं एक शब्द, हाँ जानता हूँ आदि कविता का अविस्मरणीय पाठ किया। ए. अरविंदाक्षन ने रक्त की बूंदें, कभी न खुलने वाले दरवाज़े, प्रेम का क्या कोई रंग होता है, अधुरी कविता का पाठ किया। लीलाधर मंडलोई ने सिराहना, कपाल क्रिया, डोंगी का गीत, अग्नि जल, साँवली बंदिश, भैरवी के सूर्यमुखी स्वर के माध्यम से प्रतिरोध और स्वाभिमान के स्वर को नई ताकत दी।
पार्वती तिर्की ने खद्दी चाँद, सुकरा–सुकराईन, सबने उनके लिए जगह बनाई, गीत, मंगरू का गीत कविता से आदिवासी जनजीवन को सामने रखा। संचालन एवं समाहार वरिष्ठ कवि संतोष चौबे द्वारा किया गया।
… और नाज मैं किस पर करूं” विष्णु खरे की कविताओं की नाट्य प्रस्तुति :
पुरस्कृत रचनाकारों का परिचय
लीलाधर मंडलोई
लीलाधर मंडलोई मूलत: कवि है उनकी कविताओं में छत्तीसगढ़ की बोली की मिठास ओर वहाँ के जनजीवन का सजीव चित्रण है। कविता के अलावा लोककथा, लोकगीत, यात्रा वृत्तांत, डायरी, मीडिया, पत्रकारिता तथा आलोचना लेखक की ओर प्रवृत्त है। घर-घर घूमा, रात-बिरात, मगर एक आवाज देखा- अदेखा ये बदमाशी तो होगी, देखा पहली दफा अदेखा, उपस्थित है, समुद्र (कविता संग्रह) एवं अंडमान-निकोबार भी लोककथाएँ , चाँद का धब्बा, पेड़ भी चलते है आदि अनेक पुस्तकें प्रकाशित। साहित्यक अवदान के लिये प्रतिष्ठत पुश्किन सम्मान नार्गाजुन सम्मान, रज़ा सम्मान वागीश्वरी सम्मान एवं रामविलास शर्मा सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है ।
नंदकिशोर आचार्य
प्रख्यात आलोचक नंदकिशोर आचार्य मूलत: आलोचक है । आलोचना के अलावा कविता, नाट्य, शिक्षा-सभ्यता संस्कृति विषयक विमर्श और संपादन के क्षेत्र में अपना रचनात्मक योगदान दिया है । नंदकिशोर आचार्य के 12 – कविता संग्रह, 8 – नाट्क,7 – आलोचना कृति और 12 सामाजिक-दर्शन संबंधी पुस्तकें प्रकाशित है । ब्राडस्की, लोर्का और आधुनिक अरबी कविताओं सहित अनेकों दूसरी भाषाओं की श्रेष्ठ कविताओं के अनुवाद किये है । आपको ‘मीरा-पुरस्कार’, ‘बिहारी पुरस्कार’, ‘भुवनेश्वर पुरस्कार’, ‘संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार’ सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार, साहित्य अकादेमी, पुरस्कार आदि से सम्मानित किया गया है ।
ए. अरविन्दाक्षन
वरिष्ठ साहित्यकार एवं अनुवादक ए. अरविन्दाक्षन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा में पूर्व कुलपति भी रहे है वे हमारे समय के महत्वपूर्ण आलोचक साहित्यकार और अनुवादक है । राग लीलावती, असंख्य ध्वनियों के बीच, भरापूरा घर, पतझड़ का इतिहास, राम की यात्रा, प्रार्थना एक नदी है आदि प्रतिनिधि कविताएँ है । साथ ही हिन्दी में बीस आलोचना की पुस्तकों के साथ, मलयालम में पाँच आलोचना की पुस्तकें, एक उपन्यास, पन्द्रह अनूदित पुस्तकों, तेइस सम्पादित पुस्तकें अग्रेंजी में दो पुस्तकें आदि है। ए. अरविन्दाक्षन को बीस राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, साहित्य वाचस्पति उपाधि सहित अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं ।
डॉ. पार्वती तिर्की
निदेशक पार्वती तिर्की युवा कवियत्री है। उनका पहला काव्य संग्रह आदिवासी जीवन संस्कृति लोककथाओं और लोक जीवन से जुड़ा है। कविता और लोकगीतों में उनकी विशेष अभिरुचि है। ‘फिर उगना’ कविता संग्रह है । कविताओं के साथ-साथ कहानियाँ भी लिखती है । ‘गिदनी’ वागार्थ में प्रकाशित हुई। अन्य पत्रिकाएँ जैसे इन्द्रधनुष, सदानीरा, समकालीन, जनमत, हिन्दवी, प्रगतिशील हाँक और पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित हुई । सत्र 4
विष्णु खरे की कविताओं की दृश्य काव्य प्रस्तुति समारोह के अंतिम सत्र में ” और नाज़ मैं किस पर करूं” कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विष्णु खरे की विभिन्न कविताओं की दृश्य काव्य प्रस्तुति शैडो थिएटर ग्रुप के कलाकारों ने मनोज नायर के निर्देशन में दी।
कलाकारों द्वारा कविताओं को रोचक अंदाज में दृश्यों में पिरोकर दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कविता “अगले सवेरे”, “कोशिश”, “आवाजाही” से की गई। इसके बाद “और नाज़ मैं किस पर करूं”, “अमीन”, “नींद में”, “विलोम”, “द्विगुणित” कविताओं को रचनात्मक अंदाज में पेश किया गया।
मंच पर – पूनम जोशी, ट्विंकल चौहान,स्मिता नायर,सीत बैजयंती,हर्षवर्धन सिंह, आदर्श, दीपिका मैथिल, रिया राठौड़,संघमित्रा छावई,जय खरे,मिलिंद दाभाड़े, मंच परे,जय खरे,मिलिंद ,मनोज नायर, हर्षवर्धन कड़बे , दया |
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