अमेरिकी अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता, ट्रेड वॉर शुरू होने का डर और वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ने की आशंका की वजह से देश और दुनिया में सोना ऑल टाइम हाई पर पहुंच कर कारोबार कर रहा है। आने वाले दिनों में इस चमकीली धातु में और तेजी आने की संभावना जताई जा रही है। इसी बीच फाइनेंशियल सर्विस देने वाली एक अमेरिकी फर्म ने अपने एक एनालिसिस में आने वाले सालों में सोने के भाव में जोरदार गिरावट आने की भविष्यवाणी करके सबको चौंका दिया है। दावा किया जा रहा है कि आने वाले सालों में सोने की कीमत में 35 से 38 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना आज 3,148.89 डॉलर प्रति औंस के ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंचा हुआ है। इसी तरह घरेलू सर्राफा बाजार में भी सोना अभी तक के सर्वोच्च स्तर 92,070 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच कर कारोबार कर रहा है। माना जा रहा है कि जब तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में जारी उठा पटक शांत नहीं होगी, तब तक सोने के भाव में इसी तरह तेजी का रुख बना रहेगा। बाजार की अनिश्चितता के कारण निवेशक फिलहाल सेफ इन्वेस्टमेंट के रूप में सोने में पैसा लगाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इसी वजह से ये चमकीली धातु लगातार मजबूती के नए-नए रिकॉर्ड बना रही है।
ऐसे समय में अमेरिका में फाइनेंशियल सर्विस देने वाली फर्म मॉर्निंगस्टार इंक की एक रिपोर्ट में आने वाले दिनों में सोने की कीमत में बड़ी गिरावट आने की भविष्यवाणी करके सबको चौंका दिया है। इस अमेरिकी फर्म का कहना है कि सोने की कीमत गिर कर 1,780 डॉलर से लेकर 1,820 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने की कीमत में आई जोरदार तेजी के कारण दुनिया भर में इसकी माइनिंग में भी तेजी आ गई है। चीन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और पेरू जैसे कई स्वर्ण उत्पादक देशों ने पिछले 1 साल की अवधि में सोने के उत्पादन में 40 से 52 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है। इसके साथ ही पुराने सोने को भी बड़े पैमाने पर दुनिया के तमाम देशों में री-साइकल किया जा रहा है।
मॉर्निंग स्टार इंक की रिपोर्ट के मुताबिक सोने के उत्पादन में बढ़ोतरी होने और पुराने सोने की लगातार री-साइकलिंग होने के कारण गोल्ड मार्केट में सोने की उपलब्धता पहले की तुलना में काफी अधिक हो गई है लेकिन एक ओर तो सोने की उपलब्धता बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर सोने की मांग में करीब 60 से 65 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी भी हो गई है। वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता और बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रहने की आशंका के कारण निवेशकों ने सोने में अपना निवेश पहले से काफी अधिक कर दिया है।
इसके साथ ही कई देशों के सेंट्रल बैंक पिछले तीन साल के दौरान अपना स्वर्ण भंडार मजबूत करने के इरादे से अंतरराष्ट्रीय बाजार में जम कर सोने की खरीदारी कर रहे हैं। साल 2024 में अलग-अलग देशों के केंद्रीय बैंकों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से 1,045 टन सोने की खरीदारी की थी। इसके पहले 2022 और 2023 में भी अलग-अलग देशों के केंद्रीय बैंकों ने हर साल 1,000 टन से अधिक सोने की खरीदारी की थी। इस तरह 2024 लगातार तीसरा ऐसा साल बना था, जब केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी 1,000 टन से ज्यादा की गई।
माना जा रहा है कि ज्यादातर देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपने स्वर्ण भंडार को अपनी जरूरत के हिसाब से मजबूत कर लिया है। मॉर्निंगस्टार इंक की रिपोर्ट में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस सर्वे में 71 प्रतिशत देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपने स्वर्ण भंडार को और अधिक बढ़ाने की बात को लेकर अनिच्छा जाहिर की थी। इनमें से कुछ देशों के केंद्रीय बैंकों ने तो अपनी गोल्ड होल्डिंग को कम करने की भी संभावना जताई थी।
रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के इस सर्वे से साफ है कि आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में केंद्रीय बैंकों द्वारा की जा रही सोने की खरीदारी तुलनात्मक तौर पर काफी कम हो सकती है। इसका सीधा असर सोने की मांग घटने के रूप में सामने आएगा। इसी तरह वैश्विक अर्थव्यवस्था में मची हलचल भी कुछ दिनों में स्थिर होने लगेगी। खासकर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के कारण दुनिया भर में बने ट्रेड वॉर की आशंका भी अपने आखिरी स्वरूप तक पहुंचने के बाद थमने लगेगी।
ऐसी स्थिति में दुनिया भर में निवेशकों का इनवेस्टमेंट ट्रेंड भी सोने से घट कर स्टॉक मार्केट या बॉन्ड मार्केट की ओर अधिक हो जाएगा। ऐसा होने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की सप्लाई मांग की तुलना में अधिक हो जाएगी। बाजार में मांग की तुलना में सप्लाई बढ़ जाने के कारण इस चमकीली धातु की कीमत पर दबाव बढ़ने लगेगा, जिससे वैश्विक स्तर पर सोने के भाव में गिरावट आएगी।
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