सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि भरण-पोषण का प्रावधान निष्क्रिय लोगों की सेना बनाने के लिए नहीं है, बल्कि इसे सही संदर्भ में लागू किया जाना चाहिए। कोर्ट ने एक पोस्ट ग्रेजुएट महिला के भरण-पोषण भत्ते को कम करने के आदेश दिए हैं, यह कहते हुए कि जो महिला उच्च शिक्षित है और खुद कमाने में सक्षम है, उसे अपने जीवनसाथी पर पूरी तरह निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है।

महिला की शैक्षणिक योग्यता और कार्य अनुभव याचिकाकर्ता पति ने अदालत में दलील दी कि उसकी पत्नी एमकॉम पास है और फिल्म इंडस्ट्री में काम कर चुकी है, साथ ही वर्तमान में एक डांस क्लास भी चला रही है। कोर्ट ने इस बात को ध्यान में रखते हुए महिला के भरण-पोषण भत्ते को 25,000 रुपए से घटाकर 20,000 रुपए प्रति माह कर दिया।

बेटी के भत्ते में कोई बदलाव नहीं हाईकोर्ट ने याचिका में महिला के साथ रह रही बेटी के भरण-पोषण के लिए 15,000 रुपए प्रति माह की राशि को बरकरार रखा, जो उसके वयस्क होने तक जारी रहेगा।

पति ने आर्थिक कठिनाई का दिया हवाला याचिकाकर्ता पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर की थी, जिसमें उसने कहा था कि पत्नी को दिया जाने वाला भरण-पोषण भत्ता उसकी आर्थिक स्थिति पर भारी पड़ रहा है, क्योंकि वह अपने पिता और भाई का भी भरण-पोषण कर रहा है।

हाईकोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि जो व्यक्ति सक्षम और आत्मनिर्भर है, उसे भरण-पोषण भत्ते के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए, और यह प्रावधान केवल उन लोगों के लिए है जो वास्तव में इसे पाने के हकदार हैं।