सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: 2009 से 2012 तक, कलर्स टीवी पर ‘उतरन’ शो आता था। इस शो में वीर सिंह बुंदेला का किरदार नंदीश सिंह संधू ने निभाया था। इस बार की स्ट्रगल स्टोरी में इन्हीं की कहानी है।
नंदीश 2007 से एक्टिंग फील्ड में एक्टिव हैं। उन्होंने टीवी शोज में काम करने के बाद फिल्मों में भी अपनी जगह बनाई। उन्हें सलमान खान की फिल्म ‘दबंग 2’ और ऋतिक रोशन की फिल्म ‘सुपर 30’ में भी देखा गया था। पिछले 3 साल में उन्हें OTT पर भी देखा गया है।
नंदीश के करियर में भी संघर्ष का चैप्टर शामिल है। राजस्थान के रहने वाले नंदीश होटल मैनेजमेंट करने के लिए मुंबई गए थे, लेकिन किस्मत ने ऐसी करवट ली कि यहां उनका एक्टिंग से परिचय हुआ।
इस फील्ड में पहचान बनाने के लिए उन्होंने बहुत स्ट्रगल किया। गुजारे के लिए उन्हें कॉल सेंटर में भी काम करना पड़ा। एक वक्त ऐसा भी आया कि नंदीश के अकाउंट में एक रुपया तक नहीं बचा। हालांकि, इन हालातों से वे लड़ते गए और आज OTT पर अपनी अलग पहचान बना रहे हैं।
पढ़िए नंदीश सिंह संधू की संघर्ष की कहानी उन्हीं की जुबानी…
आर्म्ड फोर्स में पायलट बनना चाहते थे
नंदीश का जन्म राजस्थान के भरतपुर में हुआ था, यहां उनका ननिहाल था। वहीं उनकी परवरिश राजस्थान के धौलपुर में हुई। यहां उनके दादा-दादी समेत भरा-पूरा परिवार था। बचपन के दिनों के बारे में नंदीश ने कहा, ‘जूनियर स्कूल के बाद मेरी आगे की पढ़ाई धौलपुर के मिलिट्री स्कूल से हुई। इसी का असर था कि मैंने भी आर्म्ड फोर्स में पायलट बनने का सपना देखा। इसके लिए मैं बहुत जुनूनी था, लेकिन कुछ मेडिकल वजहों से ऐसा हो नहीं पाया।’
मुंबई आने पर ताज होटल में काम किया, फिर मॉडलिंग का रुख किया
नंदीश ने आगे कहा कि वे धौलपुर जैसी छोटी जगह पर नहीं रहना चाहते थे। पहला ख्वाब तो पूरा नहीं हो सका, इसलिए कुछ बेहतर कर जाने की चाहत में मुंबई आ गए। इस सफर के बारे में उन्होंने बताया, ‘मैं हमेशा से मुंबई जाना चाहता था। मेरे लिए यह ड्रीम सिटी थी।
12वीं के दौरान मेरी दिलचस्पी होटल मैनेजमेंट में जागी। इस सपने को साकार करने के लिए मुंबई से बेस्ट कोई दूसरी जगह नहीं हो सकती थी, इसलिए यहां आना हुआ। मुंबई में मैंने होटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया। फिर ताज होटल में बतौर ट्रेनी काम करने लगा।
कुछ समय बाद मेरा मन इस काम से भर गया। मैं जिस सुकून की तलाश में इस काम से जुड़ा था, वो मुझे मिला ही नहीं। आखिरकार मैंने ये नौकरी 7 महीने बाद छोड़ दी और कुछ लोगों की सलाह पर मॉडलिंग करने लगा।’
गुजारे के लिए कॉल सेंटर में काम किया
मुंबई आने पर नंदीश को भी संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘मैं 2005 के आस-पास मुंबई आया था। यहां आने पर मैंने भी स्ट्रगल किया। मेहनत तो जी-जान लगाकर करता, लेकिन उसके मुताबिक सफलता जल्दी नहीं मिलती थी। मैं शुरुआत में मुंबई में 10X10 के कमरे में 4-5 दोस्तों के साथ रहा। डेढ़ साल यहां रहने के बाद मैंने ये जगह छोड़ दी और दूसरी जगह शिफ्ट हो गया।