सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : 28 दिसंबर 2024 को दिवंगत उद्योगपति और परोपकारी रतन टाटा की जयंती पर उनकी स्मृति में एक विशेष ‘ग्रोव’ लॉन्च किया जाएगा। इस पहल का संचालन सामाजिक उद्यम Grow-Trees.com द्वारा किया जाएगा। इस विचार की परिकल्पना गीता गोपालकृष्णन ने की थी, जो कई वर्षों तक कोलकाता स्थित टाटा मेडिकल सेंटर में कैंसर रोगियों के लिए मानद धन जुटाने का कार्य करती थीं, जो श्री टाटा के दिल के करीब था। यह परियोजना एक सहयोगात्मक प्रयास है, जिसमें नागरिक भाग ले सकते हैं और इस महान व्यक्ति को अपनी श्रद्धांजलि लिख सकते हैं।
इस नागरिक सहयोग के तहत उत्तराखंड के नैनीताल के 17 गांवों और अल्मोड़ा के 6 गांवों में चार लाख पेड़ लगाए जाएंगे। यह व्यापक हरित आवरण Grow-Trees.com की ‘Trees+ for the Himalayas’ योजना का हिस्सा है और इसे ‘रतन टाटा मेमोरियल फॉरेस्ट’ कहा जाएगा।
Grow-Trees.com के सह-संस्थापक प्रदीप शाह कहते हैं, “रतन टाटा का जीवन शक्ति, करुणा और उदारता का प्रतीक था। वह एक वैश्विक आइकन थे, लेकिन उनकी जड़ें भारतीय मूल्यों में गहराई तक जुड़ी थीं। यह उचित है कि एक हरा-भरा जंगल उनकी विरासत का सम्मान करेगा और उनके योगदान को स्मरणीय बनाएगा।”
यह एक साल तक चलने वाला अभियान 28 दिसंबर 2025 तक जारी रहेगा। यह अभियान व्यक्तियों और कॉरपोरेट्स को ‘रतन टाटा मेमोरियल फॉरेस्ट’ के लिए श्रद्धांजलि लिखने और/या पेड़ समर्पित करने के लिए www.grow-trees.com पर आमंत्रित करता है। प्रत्येक समर्पण में समर्थक/प्लांटर का नाम और श्री टाटा को समर्पित एक पंक्ति की श्रद्धांजलि शामिल होगी, जिसे वेबसाइट के रतन टाटा मेमोरियल फॉरेस्ट सेक्शन में प्रदर्शित किया जाएगा। अभियान की समाप्ति पर, लगाए गए कुल पेड़ों की संख्या, श्रद्धांजलि और समर्थकों/प्लांटरों के नामों के साथ अंतिम eTreeCertificate® टाटा सन्स को प्रस्तुत किया जाएगा।
‘रतन टाटा मेमोरियल फॉरेस्ट’ के तहत 23 जल निकाय भी बनाए जाएंगे, जो भूजल संग्रहण और रिचार्ज के लिए उपयोग किए जाएंगे। इसके अलावा, यह परियोजना ग्रामीण समुदायों की लड़कियों की शिक्षा और किसानों को जलवायु-सहिष्णु कृषि में प्रशिक्षित करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। जंगल में बंज, बाकियन, भातुला, भीमल, माजुना, ग्लैकस ओक, पर्पल ऑर्किड, कचनार, पदम, मेडिटेरेनियन हैकबेरी, तेज, जामुन, व्हाइट विलो, हिमालयन मुलबेरी और इंडियन हॉर्स चेस्टनट जैसी विभिन्न प्रजातियां शामिल होंगी।
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