पेइचिंग । चीनी की शीर्ष वायरोलॉजिस्ट और बैट वुमन नाम के नाम से मशहूर वैज्ञानिक शी जेंगली ने केविड वायरस को लेकर लोगों को आगाह करते चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि लोगों को कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना पड़ेगा। इस वायरस के अलग-अलग वैरियंट आते रहेंगे। ऐसे में यह वायरस दुनियाभर में फैलता ही रहेगा। शी जेंगली चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी की डिप्टी डायरेक्टर हैं। अमेरिका समेत कई देशों का अब भी मानना है कि कोरोना वायरस चीन के इसी लैब से निकलकर पूरी दुनिया में फैला। टॉप चीनी वायरोलॉजिस्ट शी जेंगली को 2020 में चीनी मीडिया ने बैट वुमेन का नाम दिया था। शी जेंगली चीनी जनता और वहां की सरकार के लिए किसी हीरो से कम नहीं हैं। यहां के लोग आज भी मानते हैं कि इन्हीं के कारण उनका देश कोरोना वायरस के घातक प्रभाव से बच पाया। चीनी बैट वुमेन ने एक इंटरव्यू में कहा कि हमें घबराना नहीं चाहिए, लेकिन हमें कोरोना वायरस के साथ लंबे समय तक सह-अस्तित्व के लिए तैयार रहने की जरूरत है। जैसा कि संक्रमित मामलों की संख्या अभी बहुत बड़ी हो गई है, इसने कोरोन वायरस को म्यूटेट और सलेक्ट होने के अधिक अवसर प्रदान किए। उन्होंने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि दुनिया में कोरोना वायरस के नए वैरियंट सामने आते रहेंगे। कुछ दिनों पहले एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी में अध्ययन किए गए कोरोना वायरस नमूनों से संबंधित डेटा वाले क्लाउड सर्वर को हैक कर लिया था। यह पूरा डेटा चीनी भाषा में लिखा हुआ है, जिसे अमेरिकी खुफिया एजेंसियां अभी तक समझ नहीं पाई हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यह डेटा कोरोना महामारी की उत्पत्ति का खुलासा करने की कुंजी हो सकता है।
मई के अंत में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने देश की खुफिया एजेंसियों को वायरस की उत्पत्ति के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने और विश्लेषण करने के लिए 90 दिनों का समय दिया था। उनके आदेश के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसियां तेजी से कोरोना से संबंधित मामलों की जांच कर ही हैं। इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट का पूर्ण संस्करण जारी किया था। इस रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ ने एक प्रयोगशाला से कोविड-19 के लीक होने के परिदृश्य पर सवाल उठाया था। दुनियाभर के वैज्ञानिक अब भी मानते हैं कि उनके पास कोरोना वायरस के लैब लीक थ्योरी को लेकर कोई खास सबूत नहीं हैं। इनमें से अधिकतर वैज्ञानिकों का मानना है कि लैब लीक थ्योरी को पूरी तरह से जांच के बिना ही खारिज कर दिया गया था। इसलिए, अब भी इस मामले की व्यापक जांच होनी चाहिए। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि डॉ. शी जेंगली ने प्रयोगशालाओं में बैट कोरोना वायरस के साथ जोखिम भरे प्रयोग किए जो पर्याप्त सुरक्षित नहीं थे।