आपने कहावत सुनी होगी कि "चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात"। इसको चरितार्थ किया है जबलपुर नगर निगम के अधिकारियों ने। उन्होंने जनता को 4 घंटे की रोशनी देकर उनकी किस्मत में फिर अंधेरी रात छोड़ दी। ये 4 घंटे वो थे, जब सीएम शिवराज जबलपुर आए थे। शिवराज सिंह के काफिले के लिए जबलपुर की अमखेरा रोड, स्ट्रीट लाइट्स से रोशन कर दी गई, लेकिन उनके जाने के बाद अधिकारियों ने स्ट्रीट लाइट्स निकलवा दी। अब महापौर मामले की जांच करवाने की बात कह रहे हैं।
जबलपुर का अमखेरा-गोहलपुर रोड, जो कि नेशनल हाईवे 30 से शहर को जोड़ता है। 17 दिसंबर को सीएम शिवराज सिंह चौहान कटनी में भाजपा की बैठक में शामिल होने के बाद इसी सड़क से जबलपुर आए थे। बीते 3 साल से यहां रहने वाले लोग सड़क किनारे स्ट्रीट लाइट्स ना होने की शिकायतें कर रहे थे। सीएम शिवराज के दौरे से पहले अचानक नगर निगम के अधिकारी हरकत में आए। हाईवे से लगी तीन किलोमीटर की सड़क को नई नवेली स्ट्रीट लाइट्स से रोशन कर दिया।
रोशनी से सराबोर सड़क से जब सीएम का काफिला गुजरा, तो जनता ने खूब दुआएं दीं, पर सीएम के जाते ही नजारा बदल गया। नगर निगम के अमले ने सड़क पर लगी स्ट्रीट लाइट्स निकालनी शुरू कर दीं। ऐसे में क्षेत्र की जागरुक जनता ने विरोध जताया, मोबाइल कैमरे चालू कर लाइट्स निकालने की वजह पूछी।
इस पर निगम का अमला जवाब नहीं दे सका। जहां विरोध था, उतनी जगह छोड़कर बाकी सड़क की स्ट्रीट लाइट्स निकालकर ले गया। अमखेरा इलाके में रहने वाले लोग इसे छलावा बता रहे हैं, क्योंकि वो समझे कि स्ट्रीट लाइट्स लगाने की उनकी फरियाद कुछ समय के सीएम के काफिले के मद्देनजर पूरी की गई थी।
महापौर नगर निगम के अधिकारियों के इस कारनामे से हैरान हैं। महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने मामले की जांच करवाने की बात कहते हुए इलाके में स्थाई स्ट्रीट लाइट्स लगवाने की बात की है। यह सच है कि जब भी वीआईटी मूवमेंट होता है, तो प्रोटोकॉल के तहत काफिले के मार्ग पर प्रकाश व्यवस्था की जाती है, लेकिन जबलपुर की अमखेरा रोड पर स्ट्रीट लाइट्स लगाकर निकाल लिया जाना, जनता को मुंह चिढ़ाने से कम नहीं है।