रायपुर, । बालोद जिले के भाठागांव में तान्दुला केनाल पर निर्मित भाठागांव उद्वहन सिंचाई योजना से 6 गांवों केे 1538 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई के लिए लगभग 30 वर्षों बाद फिर से जलापूर्ति होगी। वर्ष 1989 में बनी यह उद्वहन सिंचाई योजना नहर में टूट-फूट एवं मशीनरी में खराबी के चलते वर्ष 1992 से बंद हो गई थी। लगभग 30 सालों से मृतप्राय पड़ी इस उद्वहन सिंचाई योजना को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर नया जीवन मिल गया है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने वर्षों से अनुपयोगी पड़ी भाठागांव उद्वहन सिंचाई योजना की मरम्मत कराकर फिर से सिंचाई के लायक बनाने के लिए न सिर्फ 5 करोड़ 51 लाख 76 हजार रूपए की स्वीकृति दी, बल्कि इसके जीर्णोंद्धार की कार्य को भी समय-सीमा में पूरा कराने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। मशीनरी की मरम्मत, सिविल वर्क एवं इलेक्ट्रिकल वर्क सहित नहरों की मरम्मत, सफाई एवं लाईनिंग का कार्य पूरा होने के बाद इस योजना की टेस्टिंग कम्पलीट हो गई है और अब यह जलापूर्ति के लिए पूरी तरह से तैयार है। भाठागांव उद्वहन सिंचाई योजना को फिर से सिंचाई के लिए उपयोगी बनाने पर क्षेत्र के किसानों ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रति आभार जताया है।
भाठागांव उद्वहन सिंचाई योजना से पाटन विकासखंड के तीन गांव जामगांव (आर), बोरवाय और औवरी में 818 हेक्टेयर में तथा बालोद जिले के गुण्डरदेही ब्लॉक के रनचिरई, भाठागांव और जारवाय में 720 हेक्टेयर में सिंचाई होगी। इन 6 गांवों के किसानों के लिए यह योजना संजीवनी साबित होगी। इन गांवों के खेत ऐसे है जो तांदुला केनाल से 10 फीट ऊपर है। जमीन की ऊंचाई अधिक होने के कारण केनाल के माध्यम से तांदुला जलाशय का पानी उक्त गांवों के खेतों में नहीं पहुंचता है। भाठागांव उद्वहन सिंचाई योजना के माध्यम से अब इन गांवों के खेतों में जलापूर्ति आसानी से हो सकेगी।