इंदौर, 1 अगस्त । इंदौर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की कोशिश फैल नजर आ रही है। बडा सराफा में 6-7 महीने पहले बना चेंबर सडक के बीचोंबीच खोदकर सुधारने की नौबत अभी से आ गई है। मोरसली गली ऊंची सडक हो गई है तो बड़ा सराफा नीचा रह गया है। आखिर कैसे प्लानर काम कर रहे हैं जिन्हें स्मार्ट सिटी की समझ नहीं है।
इंदौर के पश्चिम भाग में नार्थ राजमोहल्ला को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में लिया गया। काम शुरू किया और आधा अधूरा छोड़ दिया गया। राजमोहल्ला के लोग स्मार्ट सिटी के काम के चक्कर में खूब परेशान हुए। सोचा 4-6 महीने बाद स्मार्ट सिटी का सुख मिलेगा लेकिन भाग्य में तो दुख ही लिखा है। जूना राजमोहल्ला कैलाश मार्ग को जोडने वाली सड़क उबड़ खाबड़ पड़ी है। नार्थ राजमोहल्ला की होस्टल वाली गली में काम अधूरा पड़ा है। आधा दर्जन गलियों में स्मार्ट सिटी का काम आधा अधूरा पड़ा है। नल बिजली पानी के कनेक्शन ठीक से कब जुड़ पाएंगे कहना मुश्किल है।
राजवाडा में अंडर ग्राउंड बिजली स्ट्रीट लाइट का काम कब शुरू होगा, कहा नहीं जा सकता। स्मार्ट सिटी में मेट्रो रेल को भी चलना है। राजवाड़ा के आसपास मेट्रो ट्रेन से ऐतिहासिक राजवाडा की इमारत छत्रियों व गांधी हाॅल घंटा घर को कहीं नुकसान न पहंुचे इस बात पर तो अभी विचार ही शुरू हुआ है। ऐसी हालत में इंदौर स्मार्ट कब तक बन पाएगा। इंदौर का राजवाडा पुराना क्षेत्र है। सघन आबादी है। हालात ऐसे नहीं है कि यहां मेट्रो चलाई जाए। अच्छा तो यही होगा कि मेट्रो को चलाने के लिए वीआईपी रोड, सुपर काॅरिडोर बांगडदा रोड, सदर बाजार, सुभाष मार्ग, चिमनबाग का सर्वे कर वहां मेट्रो लाइन डाली जाती। सघन आबादी में मेट्रो सुरंग के भीतर न केवल महंगी पड़ेगी बल्कि पुराने स्ट्रक्चर निर्माण को नुकसान भी पहंुचने की आशंका बनी रहेगी। अब भी समय है। राजवाडा की ऐतिहासिक इमारत, छत्रियों को बचाने के लिए समझ बूझ से मेट्रो व स्मार्ट सिटी के लिए अंडर ग्राउंड बिजली लाइनों के लिए खुदाई का काम किया जाए।