मुंबई । रूस और यूक्रेन तनाव कमजोर पड़ने, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लिवाली और औद्योगिक उत्पादन में तेजी की वजह से पिछले सप्ताह तीन प्रतिशत से अधिक की तेजी में रहे शेयर बाजार अगले सप्ताह रिजर्व बैंक (आरबीआई) की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा का असर रहेगा।

विश्लेषकों के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में नरमी, रूस-यूक्रेन के मोर्चे पर कुछ सकारात्मक खबरें, एफआईआई की लिवाली, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) का निरंतर समर्थन और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी के कारण शेयर बाजार ने वित्त वर्ष 2022-23 में मजबूत शुरुआत की।

वैश्विक बाजार स्थिर हैं लेकिन भू-राजनीतिक स्थिति के बारे में अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है। उच्च मुद्रास्फीति और मंदी दोनों की स्थिति चिंताजनक है वहीं चीन कोविड महामारी से जूझ रहा है। अगले सप्ताह घरेलू शेयर बाजार की दिशा निर्धारित करने में आरबीआई मौद्रिक नीति की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। अधिकांश केंद्रीय बैंक पहले ही ब्याज दरों में वृद्धि कर चुके हैं जबकि आरबीआई यथास्थिति बनाए हुए है।

इस परिदृश्य में देखना दिलचस्प होगा कि आरबीआई मुद्रास्फीति और विकास दोनों को कैसे प्रबंधित करेगा। ऐतिहासिक रूप से अप्रैल शेयर बाजार के लिए सबसे अच्छे महीनों में से एक है, जहां मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों का प्रदर्शन बेहतर है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी छमाही में जमकर बिकवाली करने के बाद एफआईआई वित्त वर्ष 2022-23 में कैसा व्यवहार करेंगे। हालांकि उन्होंने पिछले सप्ताह में 5600 करोड़ रुपए की लिवाली की है।