सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पास रिसर्च प्रोजेक्ट्स के लिए पर्याप्त मात्रा में फ़ंड मौजूद है, जरूरत है तो केवल उच्च गुणवत्ता वाले प्रोजेक्ट्स की। शोधकर्ता अपने प्रोजेक्ट्स की गुणवत्ता की ओर ध्यान देकर इन फंड्स के लिए अप्लाई कर इन्हें हासिल कर सकते हैं।‘ आईसीएमआर में डिलिवरी रिसर्च डिविजन की प्रमुख और साइंटिस्ट—जी डॉ आशु ग्रोवर ने यह बात कही। वे भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) में ‘क्लिनिक रिसर्च के महत्व’ पर आयोजित एक शोध संगोष्ठी को संबोधित कर रही थीं। बीएमएचआरसी की रिसर्च सेल ने इस संगोष्ठी का आयोजन किया था। इस संगोष्ठी में एम्स के डीन रिसर्च डॉ रेहान उल हक ने ‘चिकित्सकों को रिसर्च क्यों करना चाहिए’ विषय पर संबोधन दिया। बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ मनीषा श्रीवास्तव ने भी कार्यशाला में उपस्थित डॉक्टर्स, नर्स व अन्य स्टाफ के समक्ष चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने और मरीजों की देखभाल में सुधार के लिए अनुसंधान का महत्व विषय पर अपनी बात रखी।
डॉ आशु ग्रोवर ने कहा कि आईसीएमआर चाहता है कि देश में अधिक से अधिक लोग रिसर्च करें, ताकि भारत में होने वाला रिसर्च भी विकसित देशों में होने वाले रिसर्च के मुकाबले खड़ा हो सके। इस उद्देश्य को पाने के लिए अब फंड कोई समस्या नहीं है। परिषद शोधकर्ताओं को उनके रिसर्च प्रोजेक्ट्स के लिए स्मॉल ग्रांट के तहत 2 करोड़ रुपये तक का फंड देता है। रिसर्च के लिए और अधिक फंड प्राप्त करने के लिए आईसीएमआर काफी प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं को भी अपने रिसर्च प्रोजेक्ट्स को और बेहतर बनाने के नित्य प्रयास करना चाहिए इसके लिए उन्होंने अच्छे रिसर्च जर्नल्स पढ़ने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि अच्छे रिसर्च के लिए हमारे पास डेटा और पेशंट की संख्या की कोई कमी नहीं है। शिक्षा के स्तर पर भी कोई कमी नहीं है। कमी है तो सिर्फ रिसर्च एनवायरनमेंट की। हमें अपने संस्थानों में रिसर्च के लिए एक अच्छा माहौल बनाना होगा।
एम्स में डीन (रिसर्च) डॉ रेहान उल हक ने कहा कि रिसर्च करने के लिए एक अच्छा विषय तय करें। यह विषय नया हो, महत्वपूर्ण हो और आपकी रुचि का हो। साथ ही आपको उसके बारे में अच्छी समझ हो। विषय तय होने के बाद रिसर्च क्वेश्चन तय करें। रिसर्च क्वेश्चन तय करने से पहले उसके बारे में भलीभांति विचार कर लें। हमेशा एथिकल रिसर्च करें। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सिर्फ रिसर्च करना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि अपने रिसर्च प्रोजेक्ट को अच्छे मेडिकल जर्नल में प्रकाशित करवाना भी जरूरी है
बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि बीएमएचआरसी मरीजों को अच्छा उपचार देने के साथ—साथ रिसर्च पर भी फोकस कर रहा है। रिसर्च करने के लिए हमारे पास कई विषय और संसाधन मौजूद हैं। उन्होंने अस्पताल के सभी चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि वे पेशंट केयर के साथ—साथ रिसर्च पर भी ध्यान दें। रिसर्च का विषय तय करने से पहले यह जरूर सोच लें कि इससे मरीजों को किस तरह लाभ होगा।