भोपाल । चार साल बीतने के बावजूद आदमपुर छावनी स्थति लैंडफिल साइट को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) से स्वीकृत नहीं मिली है। यहां रोजाना शहर से निकलने वाला एक हजार टन से अधिक कचरा फेंका जा रहा है। पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे ने बताया कि आदमपुर छावनी में भानपुर खंती से विरासत में मिले कचरे का निष्पादन और नई लैंडफिल साइट बनाने के नियमों की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है। इसी वजह से इस लैंडफिल साइट को पीसीबी से पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिल पा रही है।

नगर निगम द्वारा तय की गई ग्रीन रिसोर्स सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अवैध और अनाधिकृत रूप से कचरे का निष्पादन कर रही है। 44 एकड़ में विकसित इस लैंडफिल साइट में न तो ऊंची दीवारें हैं और न ही कचरे को ढंककर रखा गया है। महज तार की फेंसिंग के सहारे हजारों मीट्रिक टन कचरे के बड़े-बड़े पहाड़ यहां अब भी नजर आ रहे हैं। पुराना कचरा खत्म होना तो दूर, नए कचरे के पहाड़ भी यहां बने हुए हैं। जबकि पीसीबी के नियमानुसार यहां 15 फीट उंची तार की फेंसिंग करनी चाहिए।

जिससे पन्नी व कचरा उड़कर खेत व जलाशय में न जाए। पांडे ने बताया कि इसका खामियाजा यहां आसपास बसे लोगों को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि हवा के प्रवाह के साथ फेंसिंग से कचरा उड़कर लोगों के खेतों में पहुंच रहा है। तीन साल बीत जाने के बाद भी नगर निगम का तर्क है कि उन्होंने पर्यावरण की अनुमति के लिए आवेदन किया है। इसका प्रस्तुतीकरण भी हो चुका है। बताया जा रहा है कि लैंडफिल साइट को पीसीबी की अनुमति मिलना मुश्किल है। नियमानुसार लैंडफिल साइट के चारों ओर ग्रीन बेल्ट तैयार किया जाना चहिए।

जिससे आसपास के गांवों में हो रहे वायु प्रदूषण को रोका जा सके। वहीं, इस कचरे से निकलने वाला लीचेड जमीन को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। इससे भूमि की उर्वरा शाक्ति खत्म हो रही है। जबकि पीसीबी का नियम है कि इस कचरे से निकलने वाले लीचेड का निस्तारण लैंडफिल साइट के भीतर ही होना चाहिए। निगम अधिकारियों ने बताया कि पीसीबी में लैंडफिल साइट की अनुमति लेने में समय लग रहा था। इसलिए पहले मप्र पर्यावरण निर्धारण प्रभाव समिति से इसकी अनुमति लेने के लिए आवेदन किया है।

भारत सरकार के नियमानुसार यदि 15 टन से छोटा प्लांट लगाया जाता है, तो इसका काम शुरू होने के बाद भी अनुमति ली जा सकती है। हालांकि, नगर निगम ने इसके अनुसार 21 टन रोजाना क्षमता का प्लांट लगाने के लिए प्रस्ताव भेजा था। अब फिर से इसमें सुधार कर 15 टन क्षमता का प्लांट लगाने के लिए प्रस्ताव भेजा है। इस बारे में नगर निगम भोपाल के अपर आयुक्त एमपी सिंह का कहना है कि नगर निगम द्वारा लैंडफिल साइट की अनुमति को लेकर पीसीबी और मप्र पर्यावरण निर्धारण प्रभाव समिति में आवेदन किया गया है।

अभी यह प्रक्रिया में है। अनुमति को लेकर जो भी आपत्तियां आई थीं, उनका निपटारा किया जा रहा है। वहीं पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी ब्रजेश शर्मा का कहना है कि भानुपर खंती का पुराना कचरा आदमपुर में फेंका गया है। लेकिन अब तक इसका निस्तारण नहीं हो सका है। साथ ही यहां से निकलने वाला रासायनिक लीचेड भी बंद नहीं किया जा सका है। जिसकी वजह से बार-बार आपत्ति आ रही है।