इस्लामाबाद । पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने चार दिन में दूसरी बार ताकतवर फौज को बड़ा झटका दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान (सीजेपी) गुलजार अहमद की बेंच ने मंगलवार को फौज से कहा- ‘आपको सरकारी जमीन रक्षा उद्देश्य से दी गई है। अगर इसका इस्तेमाल बिजनेस के लिए हो रहा है, तो यह मंजूर नहीं किया जा सकता।

आर्मी यह जमीन सरकार को वापस कर दे। आर्मी का काम मुल्क की हिफाजत करना है, न कि बिजनेस करना। चार दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा सचिव को तलब कर कहा था कि वो लिखित में बताएं कि मिलिट्री ट्रेनिंग के लिए दी गई जमीन पर शादी हॉल और मूवी थिएटर क्यों और किसकी मंजूरी से बनाए जा रहे हैं।

चीफ जस्टिस (सीजेपी) गुलजार अहमद की बेंच पाकिस्तान सेना के सरकारी जमीन के बेचने के एक मामले में सुनवाई कर रही है। इसमें जस्टिस काजी मोहम्मद अमीन अहमद और जस्टिस एजाज-उल-अहसान भी शामिल हैं। बेंच के सामने डिफेंस सेक्रेटरी लेफ्टिनेंट जनरल मिया मोहम्मद हिलाल पेश हुए। बेंच ने उनसे कहा- ‘आपको सरकारी जमीन इसलिए दी गई थी, ताकि इसका इस्तेमाल आप सैन्य कार्यों के लिए करें। आप वहां सिनेमा हॉल, शादी हॉल, पेट्रोल पम्प और शॉपिंग मॉल्स बना रहे हैं। यह कारोबार नहीं तो और क्या है? इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा अवाम फौज का सम्मान करती है। आपके इन कामों क्या संदेश जाएगा। कराची हो या कोई दूसरा कैंटोन्मेंट एरिया, आपने हर जगह यही किया है। हमने आपकी रिपोर्ट देखी है, इससे हम कतई संतुष्ट नहीं हैं।

इस पर डिफेंस सेक्रेटरी ने कहा हम आपको पूरी रिपोर्ट और फोटोज देना चाहते हैं। अटॉर्नी जनरल इसे तैयार कर रहे हैं। चार हफ्ते में रिपोर्ट आपके सामने रखी जाएगी। इस पर कोर्ट ने चार हफ्ते की मोहलत दे दी। जस्टिस अमीन ने डिफेंस सेक्रेटरी से कहा फौज का काम सरहदों पर मुल्क की हिफाजत करना है, आप लोग तो खुलेआम कारोबार कर रहे हैं और इसके लिए किसी तरह की मंजूरी लेना भी शान के खिलाफ समझते हैं। आपके कई अफसरों ने सरकारी जमीन पर घर बनाकर उन्हें लाखों रुपए में बेच दिया। आप इस बारे में भी चार हफ्ते में रिपोर्ट सौंपें।