आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: फिल्ममेकर मिलन लुथरिया की मानें तो विद्या बालन ने शुरुआत में ‘द डर्टी पिक्चर’ करने से मना कर दिया था। हालांकि, जब उन्होंने फिल्म साइन की तो वे अपना बेस्ट देने से पीछे नहीं बिल्कुल नहीं हटी।
बता दें, इन दिनों मिलन अपनी सीरीज ‘सुल्तान ऑफ दिल्ली’ को प्रमोट कर रहे हैं। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान, फिल्ममेकर ने सीरीज से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें शेयर की। अजय देवगन, अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार जैसे A-लिस्टर एक्टर्स के साथ काम करने के बावजूद, उन्होंने अपनी इस सीरीज में बडे नामों को शामिल क्यों नहीं किया, इस बात पर भी फिल्ममेकर ने रोशनी डाली।
मिलन ने कहा- मैन स्ट्रीम बॉलीवुड एक्टर से हटकर फ्रेश कास्टिंग की
मिलन ने कहा- बहुत अच्छा अनुभव रहा। इसकी कास्टिंग में थोड़ा वक्त लगा क्योंकि मैं बॉलीवुड की मैन स्ट्रीम बॉलीवुड एक्टर से हटकर फ्रेश कास्टिंग करना चाहता था। उस समय कोविड का वक्त था जहां लोगों से मिलना थोड़ा मुश्किल हो रहा था।
इनमे से ताहिर राज भसीन और मौनी रॉय मेरी पहली चॉइस थे। ताहिर की पहली फिल्म ‘मर्दानी’ से ही मैं काफी इम्प्रेस था, वही मौनी को एक ग्लैमरस कैबरेट डांसर एक रूप में कभी किसी ने पेश नहीं किया।
बडे स्टार का सहारा लेकर उनके हिसाब से कहानी नहीं लिखना चाहता था
मिलन ने आगे कहा- मैं किसी बड़े स्टार का सहारा लेकर उनके हिसाब से कहानी नहीं लिखना चाहता था। मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन नाना पाटेकर के साथ काम करूंगा।
सुना था कि वो बहुत तंग करते हैं, वो बहुत मूडी इंसान हैं। लेकिन इसके बावजूद मैंने उनके साथ दो फिल्में की। हां, हमारे बीच बहस हुई लेकिन काम करने में मजा आया।
‘द डर्टी पिक्चर’ की स्क्रिप्ट जब मैंने पढ़ी भावुक हो गया था
“कभी सोचा नहीं था की ‘द डर्टी पिक्चर’ जैसी फिल्म मेरे सामने आएगी। एकता कपूर इस फिल्म को बहुत ही कम बजट में बनाना चाहती थी। फिल्म की स्क्रिप्ट जब मैंने पढ़ी तो मैं बहुत भावुक हो गया था, मैं रोने लग गया था। हालांकि मैंने एकता को फिल्म करने से मना कर दिया था क्योंकि मुझे लगा की मैं फिल्म के लीड किरदार को न्याय नहीं दे पाऊंगा।
एकता ने मुझे विश्वास दिलाया कि मैं इसे कर पाऊंगा। मैंने बतौर चैलेंज इसे एक्सेप्ट किया था।”
स्क्रिप्ट पढते ही विद्या बालन ने कहा था – आप मुझे ये स्क्रिप्ट भेज रहे हो? मैं हामी नहीं भर सकती
“दरअसल, हर साल मैं और विद्या किसी फिल्म का प्रीमियर या पार्टी में मिला करते थे। वो हमेशा कहती की ‘सर मुझे आपके साथ काम करना हैं’ और जवाब में मैं भी कहता कि, ‘मैं आपका बडा प्रशंसक हूं’ लेकिन, जब मैंने ‘द डर्टी पिक्चर’ की स्क्रिप्ट उन्हें सुनाई तो उन्होंने कहा की ‘सर, हम 3 साल से बात कर रहे है और आप मुझे ये स्क्रिप्ट भेज रहे हो? ये तो मैं कर ही नहीं सकती हूं। मैं हामी नहीं भर सकती।’
मैंने कई महीनों तक इंतजार किया। साल 2010 में मेरी फिल्म ‘वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई’ देखने के बाद विद्या ने ‘द डर्टी पिक्चर’ साइन करने का फैसला किया। ऑफिस आने के बाद उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि वे अब पीछे मुड़कर नहीं देखेंगी। जैसा मैं कहूंगा, वैसे ही वे आगे बढेगी। फिल्म के आखिरी तारीख तक वो अपने शब्दों पर टिकी रही।”